________________ (ए३) // ढाल 4 धर्मकरो जिनवरतणो ए देशी // श्म महिमा रोहणीतणी / श्रीज्ञानीगुरुपरकाशेरे / चित्रसेननेरोहिणी / वासुपूज्य तीर्थकरपासेरे // इम ॥२१॥णपरि रोहिणी श्रादरी / ऊपरऊजमणोकीधोरे / चित्रसेनने रोहणी / मनसूधे संजमलीधो रे // श्म // 22 // आपूत्रे आदरी / दीदा बारमजिनआगेरे / वलि नाना विध तपतपे / धरमतणी मतिजागेरे // श्म० // 23 // करि अणसणाराधना / लहिकेवल शिवपदपायारे / जिन वाणीबाणीहिये / प्रनुचरणां चितलायारे // श्म // 25 // मनमोहन महिमानीलो / में स्तव्यो शिवपुरगामीरे / मन मान्या साहिबतण।। हिव पुन्ये सेवापामीरे // श्म // 25 // कलश ॥श्म गगनउगमुनि चंज वरसे (1720) चोथ श्रावण शुदिलली // में कही रोहिणीतणीमहिमा सुगुरुमुख जिम सांजली / वासुपूज्य अमने श्रया सुप्रशन चितनीचिंताटली / श्रीसार जिनगुण गावतां हिव सकलमनास्याफली // 26 // इति श्रीरोहिणीतप वृधस्तवनं संपूर्णम् // // अथ // तालीसआगमवृद्धस्तवनं लिख्यते // // दूहा // चोवीसे श्रीतीर्थपति / नमूं देवअरिहंत // अर्थप्रकाशेगणपपुर / घादशअंगमहंत // 1 // त्रिपदी लहि गणपतिरचे / सूत्रअर्थसंजोग / अदररूपे सारदा / प्रण त्रिकरणयोग // 2 // टीकाकतों जगतगुरु / सूत्रकरे गणधार // पंचांगी युतविस्तरे / नयनिदेप विचार // 3 // उषम काल मुर्लिदसें / भूले बारम अंग // कंठ पाठ लिखतकर / रचनारचीअनंग // 4 //