________________ (53) गम // श्री० // 6 // नरक सात कही ए सही। करम कठिन कर जोर / जीवकरमवस ते सही / उपजे तिणहीज गेर // श्री० // 7 // वेदनलेदनतामना / खत्रिषा वलि त्रास / रोमरोम पीमाकरे / परमाहम्मीतास // श्री // ॥रात दिवश खेत्रवेदना / तिलजरनहीं जिहांसुक्ख / किया करम जे जोगवे / पामें जीव वहु उक्ख // श्री० // ए॥ इक दिनरी नवकारसी / जे करे नाव विशुद्ध / सो वरस नरक नो आऊखो / दूर करे ज्ञान बुद्धि // श्री // 10 // नित्य करे नव कारसी / ते नर नरक न जाय / न रहे पाप वलि पाग्ला / निरमल होवे जी काय // श्री० // 11 // // ढाल // 2 // श्रीविमला चल सिरतिलो एदेशी // सुण गोतम पोरसी कियां महामोटोफलहोय, नावसुं जे पोरसीकरे / उरगति दे सोय। सु० // 12 // नरक मांहें जे नारकी / वर एक हजार / करमखपावे नरकमें / करता बहुत पुकार / सु // 13 // एकदिवशनीपोरसी / जीवकरे कर तार / करमहणे सहसएकना। निहचेसुं गणधार // सु० // 14 // उरगतिमाहें नारकी। दसहजारप्रमाण। नरक आयुखिणएकमें। साढपोरसीकरेहांण // सु० // 15 // पुरमड्ढकरे नित जीव जे / नरके ते नविजाय / लाखवरष करमनेंदहे / पुरमडकरमखपाय // सु // 16 // लाखवरषदशनारकी। पामें मुखअनंत, इतरा करमएकासणे / दूरकरे मनखंत // सु० // 17 // एककोमीवरसांलगे / करमखपावे जीव / नीवीयकरतांनावसुं। उरगति