________________ (137) // न // 4 // मंत्रमांहेमोटो कह्योए / लाखगुणेमनरंग / तीर्थकरपदतेलहेए // श्रीनवकारनेसंग // न० // 5 // दिनदिन अधिकीसंपदाए / मनबंबितसुखथाय // दयाकुशलवाचकवरूए। धर्ममंदिरगुणगाय // न० // 6 // इतिश्रीनवकारतपाधिकारे / ढाल नो वृद्ध स्तवन संपूर्णम् // 1 ____2 // अथ श्रीनवकार छंद लिख्यते // सुखकारणनवियणसमरोनितनवकार // जिनशासन आगम चवदेपूरबसार // इणमंत्रनीमहिमा कहितानलहुंपार, सुरतरु जिमचिंतित वंचितफलदातार // 1 // सुरदानव मानव सेवकरे करजोग / नूमंगल विचरे तारे नवियणकोम // सुरचंदे विलसे अतिसय जासअनंत / पहिलेपदनमिये अरिगंजन अरिहंत // // जेपनरेनेदेसिपथयाजगवंत / पंचमि गति पुहता अष्टकर्म करिअंत // कलअकलसरूपी पंचानंतक जेह / सिमनापायप्रणमुं बीजे पदवलिएह // 3 // गबजार धुरंधर सुंदर शशिहरसोम / करशारणवारना गुणवत्तीसे थोन // श्रुतजाण शिरोमण सागरजेमगंजीर / तीजेपदनमिये आचारज गुणधीर // 4 // श्रुतधर गुण आगम सूत्रलणावे सार / तपविधिसंयोगे नाखेअरथविचार // मुनिवर गुणयुत्ताते कहियेउवज्काय / चोथेपदनमिये अहनिशतेहनापाय॥५॥पंचाश्रवटालेपाले पंचाचार। तपसीगुणधारी वारी विषयविकार // त्रसथावरपीहरलोकमांहि ते साध // त्रिविधे ते प्रणमुं परमारथजिलाध // 6 // अरिहरिकरिसारण माश्ण नूतवेताल / सबपापपणासे विलसेमंगलमाख ॥ण समस्यां