________________ (325) म // 20 // 6 // प्रथमजिनेसर प्रश्रमधराधिप, प्रश्रममुनि जगगावे ॥म ॥२०॥७॥प्रश्रमजगतगुरुजिनउपगारि। प्रजापतिनाम धरावे ॥म०॥ // // महागोप महामाहनप्रनुजी। नवअटवीसत्यवाहे ॥म०॥ 20 // ए॥ जवजलधिनिर्यामकजगपति / सुजश सदासुकहावे ॥म०॥३०॥१॥ उगणी सेंचमोत्तर बरसे माघशुदिमन नावे ॥म०॥०॥११॥ शुक्ल दशमी रांदेरनगरमां / जिनचैत्येपधरावे ॥म ॥२०॥१२॥श्रीजिनकृपाचंजसूरिजक्तें / संतसुयशमिलगावे॥म // 20 // 13 // इतिरांदेरमध्ये जीर्णचैत्योचारे श्रीरिषनजिनबिंबप्रतिष्ठास्तवनंसंपूर्ण // ॥अथ बीजनी थुइ लिख्यते // // वासपूजजिनअंतरजामी / मनविसरामीस्वामीजी, नविजन तारण सिवसुखकारण, निजगुणनाप्रनुकामीजी, बीजदिवस जिनवर शिवसुखकर / चंविमानेपामीजी, नगरबुहारिमांमनुहारि सेवोजिनसुखधामीजी // 1 // वासुपूज्य पद्मप्रनुराता चंजसुविधिजिनधवलाजी मविपासदोयनीलाजाणो मुनिसुव्रतनेमीकालाजी, आवधिगुणजगनायकलायक सोवनवरणसुहायाजी बीजदिवश नव नव चनदिकजिनवंडं अहनिशिपायाजी॥॥ सुविधधर्मजिनवरप्रकाश्यो अर्थअधिकसुखकारिजी। सूत्रेकरिगणधरगुरुनाख्यो नविजननाउपगारिजी। दोय शिक्षा दोयनयनिदेपा चग्नंगीमनाणोजी, बीजाराधिसंपदासाधि परमारथपहिचाणोजी // 3 // बीजदिवस उपवासकरीजे / पमिकमणादिकसारोजी / एतपसुरतरुसरिखोजाणो निरुपमसुखदातारोजी, कुमारयद तिम शासनदेवी चंमासानिधनूरिजी।