________________ (117) नालाखाला / में मुखीदुश् बेहाल हीयेमेंसालदुइजलधारी // राजु ॥२॥नादवमें पवन प्राचीना / बादलमें धनुषरंगीना। जंगलमें नदीस्वरकीणा / ज्युं बाजे मनोहरबीणा / अब एसें कहो क्याजीना। प्रीतमनें मुके मुखदीना // उमावनी // युविलपतमुखमुरझाई / सखियनमिल दौमजगाई। यूं विलखतबचनसुनाई। सखि देखो पीयाकीरीत / तोमकेप्रीत / गयेगिरनारी ॥राजुं // 3 // आश्विनमेंजरानहींधीर / यमुचंदनये वेपीर / जनचली नेमकेतीर / काटनकू कर्मजंजीर / प्रीतमसें लियो अकसीर, व्रतसंजमसमकितहीर // उमावनी // शिवराजुल नेमसिधाए / इंसादिकजसुगुणगाये / नविजनमिल शीश नमाए / मुनिकहे कपूराचंद / प्रेमसें बंद / जालंबलिहारि // राजुल // 4 // इति श्रीनेमनाथजीकी लावणी संपूर्ण // // अथ श्रीकेसरियानाथजीकी महातम लावणी लिख्यते॥ // दोहा // आदिकरण आदिमजगत / श्रादिजिनंद जिनराज / धूलेवानाथजाचोधणी / वरणुं श्रीमहाराज // 1 // चाल लावणी // कास्यपगोत्रश्दवाकुवंशमें मरुदेवाजननी जायो,नानिनरेसरवंशउजालन / आदिधर्म जस प्रगटायो // 2 // चौसठसुरपति देवदेवीमिल / मंदिरगिरपे न्हवरायो / सोरिषन निधि प्रगटकटपतरु / सुरनरमुनिजननितध्यायो॥३॥ मेवामदेशमेंनगरधुलेवे / जास ददामाधुरताहे / जाकीमहिमा अपरंपारा / कविजनकीरत करताहे // 4 // आदौ मूरत कालसं. ख्यकी / पूजीसुरगण असुरिंदा। सुरपति नरपति वंदितपदयुग / वलि पूजतसूरज चंदा // 5 // लाखश्यार हजारपंचासी / वर