________________ (176) योगबारमकाररे // सु० ॥ज्ञा॥२६॥ उपगारिश्रुतनाणथीरे, जाणेयाजत्रिकालरे // सु० // परबौधक श्रुतसैवियेरे, सद्गु, रुचरणनिहालरे // सु ॥ज्ञा ॥२७॥वायणप्रचनापरावर्तनारे. अनुपेहादिलधाररे // सु० // धर्मकथाकहीकीजीयेरे // ला // सज्कायपांच प्रकाररे॥ सु०॥ज्ञा० // 20 // अंगण्यार बारपांगरे, दशपयन्ना नंदीशरे // सु० // बेद चमूल दिलधरोरे // ला० // अनुयोगवारपैतालीशरे // सु० // ज्ञा० ॥२ए॥ // ढाल चोथी // गरवेनी स्वामीशरीरसोसाश्गयो॥ ए देशी॥ ज्ञानलजो जविप्राणीया,वंछितफलदातार, ज्ञानी दीपकसमकह्यो, सूत्रेश्रीगणधार // ज्ञा० // 30 // सुरतरु सुरमणि सुरगवि, कटपलता अनुकार, एहथी अधिकोजाणिये, महिमाअगमत्रपार // ज्ञा० // 31 // कालअनादिलगे जम्यो, मिथ्यामति // 35 // समकितगुणप्रगटायवा, त्रणकरण करेजीव, समकित ज्ञानएकणसमे, लहैसुरकअतीव // ज्ञा० // 33 // देशविरति, पामें तदा, पट्यपहुत्तस्थितिजाय, संख्यातसागर गयां चरणधरझानादिकचितलाय ॥ज्ञा // 34 // घातिकरमनो क्ष्यकरी, केवलज्ञानप्रकाश, जव्यकमलप्रतिबोधता, विचरे जगवंतखास // ज्ञा० // 35 // ज्ञानचरणदोयनेद, मुक्तिकारणजाण, तपसंजमबिहुँदाखिया, नावए मनमांत्राण ॥ज्ञा // 36 // पांचमिश्राराधनकरी, ज्ञानजगतिकरोसार। तपपूरणथयां कीजिये। उजमणो सुविचार ॥ज्ञागा३७॥पांचपांचज्ञानादिना। उपगरणकरोसार धनखरचोशुजलावधी लहो पुन्यसंचार ॥ज्ञा० // 3 //