________________ (27) हिज फूल फलादिक ढोवे, प्रन्नु आगे सुविशाल / देववंदन पमिकमणोगुणनो, करिलहेसुरकरसालरेजा पू०॥४६॥ बोलीदोय ने तीनचौमासा, पर्युषण सुखकार / दीवाली नाणपंचमी जाणो, मोनश्यारशदिलधाररे ना पू०॥४७॥ पोषदसमी मेरूतेरस वली; आखातीज अधिकारी / चैत्रीकार्तिकी, पर्वइत्यादिकसेवो सदा सुखकारी रे जा पू०॥४॥ ॥कलश // संवत्तगणीसेश्वंतर-अक्षयत्रितीया दिनजले, काबुवानगरे स्तवनकीधो. आदिजिनसुपसानले, श्रीगबखरतर गुणपुरंदर जिनवराणानोरसी, श्रीजिनकृपाचंदसूरिसेवो धर्ममनमें नबसी // 4 // इति पूर्णिमा बृहत्स्तवनम् // जयकरि जिनराज पुरसादाणीरे // वामासुत वरदाय निरमल नाणीरे // 1 // पांचकमलप्रनुअंग, निरुपम निरख्यारे // तीनकमल मुजसंग, आतमहरख्यारे॥॥वदनमहोदयदेख, चंद लजाणुरे॥ गगननमें निसदीस, श्ममनाए॒रे // 3 // सुरमणिज्युं सुखकार, नयणविराजेर // हृदयकमल सुविलास, थालज्युंगजेरे // 4 // प्रनुकरचरण विलोक, पंकजहास्योरे॥ ततखिण निजसंवास जलमें धाखोरे ॥५॥श्मसरवंगनदार, श्रीजिनरायारे // साचेपुन्यसंयोग साहिवपायोरे // 6 // प्रनुगुण अनुजवनीर, सांगसुरंगेरे // टाट्यो पातिकपंक, आतमसंगेरे // 7 // वरस अढार चोतीस, वदिवैशाखैरे // मनुहर पांचमदीस सहुसंघसाखेरे // // नगरमहेवामांहि, पासजुहास्यारे // श्रीजिनचंदमुणिंद, वंचितसास्यारे॥ए। इति /