________________ (367) कहे // कीजेतसुआदेशरे // सुझा // 1 // सां० // खरमीनेंवली धोयQरे क० // तेह न शिष्टाचार / रतनत्रयी साधनकरोरे // क० // मोहाधीनता वार रे // सु० // सां० // ॥जेह पुरुषवरवातणीरे क० // श्छेने ते जीव / स्येसंबंधपणेनणोरे क० // धारीकालसदीवरे // सु० // सां० // 3 // तवप्रनंजना. चिंतवेरे अप्पा // तुं ने अनादिअनंत / तेपणमुज सिम्झसत्तासमोरे अ० // सहज अकृतमहंतरे // सु० सां० // 4 // नवनमता सवी जीवधीरे अप्पा / पाम्योसर्वसंबंध / मातपिताज्रातासुतारे अप्पा / पुत्रवधूप्रतिबंध रे // सु० // सांग // 5 // स्युंसंबंधकईश्हारे अप्पा / शत्रु मित्रपणथाय। मित्रशत्रुता वलीलहेरे अप्पा / एमसंसरणस्वनावरे // सु० // सां० // 6 // सत्तासमसविजीवजेरे अप्पा / जोतांवस्तुस्वन्नाव / एमाहरो एहपारको रे अप्पा / सविधारोपितलावरे // सु० // सां०॥॥ गुरुणीआगल एहवूरे अप्पा / फुलुकिमकहेवाय / स्वपरविवेचनकीजतारे अप्पा / माहरोकोइ नथायरे // सु० // सां०॥॥ नोग्यपणुं पण जूलथीरे अप्पा / माने पुद्गल खंध / दुनोगी निजनावनो रे अप्पा / परथीनहिं प्रतिबंधरे // सु // सां॥ // ए॥ सम्यक्ज्ञाने वहेचतारे अप्पा / हूं अमूर्त चिद्रूप // कर्त्तालोक्तातत्त्वनोरे अप्पा / अक्ष्यअक्रिय अरूपरे // सु०॥ सां० // 10 // जुदो सर्व विनावधीरे अप्पा। निश्चय निजअनुनूत / पूर्णानंदी परमएहरे अप्पा / नहिं परपरिणतिरीतरे / / सु० // सां० // 11 // सिघसमो एसंग्रहेरे अप्पा / पररंगेपल