________________ (4) रे श्रावक उपधानबह्यांविन / किमसूके नवकारजी। उत्तराध्ययनबहुश्रुतअध्ययनें। एहनएयो अधिकारजी // 2 // सुणो॥ महानिशीथसिद्धांत मांहेपिण / उपधान तपविस्तारजी। अनुक्रमसुधपरंपरदीसे / सुविहितगढ आचारजी // सुणो // 3 // तपनधानवह्यांविनकिरिया / तुअलपफल जाणजी / जे उपधानवह्या नरनारी / तेहनो जनमप्रमाणजी // 4 // सुणो॥ तपउपधानकह्यो सिमांते / जो नविमानेंजेहजी / अरिहंत देवनीयाणविराधे नमस्ये नवनवतेहजी // 5 // सुणो // अघड्याघाटसमां नरनारी। विणजपधाने होयजी / किरियाकरतां आदेश निरदेश / कामसरे नहीं कोजी // 6 // सुणो० // श्कघेवरने खांझेनरियो / अतिघणोमीठोथायजी / एकश्रावक उपधानवहेतो, धनधनते कहवायजी // 7 // सुणो // ढाल 2 // नवकार तणो तप पहिलो वीसमजाण / इरियावही नो तप बीजोवीसम आण / इण बिहुँ जपधाने निश्चे नाणमंमाण / वारेउपवासे गुरुमुख देबेवांणि // // त्रीसमत्रीजो एमोत्थुणं उपधांन / त्रिणवायण जगणीसतपउपवास प्रधांन / अरिहंतचे तप चोथो चोकमएह / उपवास अढाई वायण एकगुणगेह // ए॥ पांचमो लोगस्सतप अनावीसमनाम / साढापनरहजपवासे वायणत्रिणाम / पुरकरवरदीतप उचो बक्कमसार / साढात्रणउपवासे वायणएकसुविचार // 10 // सिवाणंवुघाणं सातमो उपधानमाल / उपवासकरेश्क चौविहारततकाल / एकवायण करे बलि गुरुमुख सरसरसाल / गबनायकपाशे पहरे माल विशाल // 11 // मालपहरणअवशर आणी