________________ (35) // * // चवदगुणठाणा स्तवनं लिख्यते // // थंभणपुर श्रीपासजिणंदो॥ ए चाल / // सुमतिजिणंद सुमतिदातार / वं मनसुधवारंवार / आणीनावअपार / चवदे गुणस्थानकसुविचार / कहिस्यु सूत्र अरथ मनधार / पामें जिम नवपार // 1 // प्रथम मिथ्यात कह्यो गुणगणो / बीजो सास्वादनमनायो / तीजो मिश्र वखाणुं / चोथो अविरतिनाम कहाणो / देशविरति पंच सलहीजे / अध्म अपूरबकरणकहीजे / अनिवृत्ति नाम नवम्म / सूखमलोन दसम सुविचार / उपशांतमोह नाम ग्यार / खीणमोहबारम्म // 3 // तेरम सयोगीगुणधाम / चजदम थयो अयोगीनाम / वरणुं प्रश्रमबिचार / कुगुरु कुदेव कुधर्म वखाणे / एहलक्षण मिथ्यागुणगणे / तेहनां पंचप्रकार // 4 // // ढाल 2 // सफल संसारनी चाल // // जेह एकांतनयपद थापी रहै, प्रथमएकांतमिथ्यामति ते कहे / ग्रंथ उत्थापि थापे कुमतिआपण / कहे विपरीत मिथ्यामती ते लणी // 5 // जैन शिवदेवगुरु सहुनमें सारिखा / तृतीय ते विनयमिथ्यामतिपारिखा / सूत्र नवि सरदहे रहे विकलपघणें / संसयीनाम मिथ्यातचोथोलणे // 6 // समऊनहींकाई निजधंध रातोरहे / एह अज्ञान मिथ्यात पंचम कहै / एह अनादि अनंत अजव्यने / करिय अनादिथिति अंत सुजव्यनें // 7 // जेम नर खीरघृतखमजीमनें वमें /