________________ (125) बारे वरसकी उमरप्रनुकी। गेटेपनमें बहोतकला // बरोबरीके लियेसोबती / तपशीकू देखणचला // 4 // ज्ञानदेखकेबोले जोगीसें / एसी तपस्याकू करता, ओ जोगी तेरेवमेलकम्में वमा नागश्क अधजलता // पारसनाथजोगीसुं कहता / तोबीजोगीनहिंसुणता / लकमेदिये फेंकजंगल में लोकतमासादेखता // 5 // क्या कीया बे जोगीतुमने / बमानागकुंजला दिया / दियासार नवकारनागडूं। धरणीधरपदवीपाया। वमीउमेदसे आयासाहिब / संवत्सरीका दानदिया। मातपिताकीआज्ञालेकर / महाराजनेजोगलिया // 6 // राज गेमके चखेजंगलमें। जुगतीसें काउसग्गकिया / वमेधीर गंजीरप्रजुनें / तीन लोकमें नामकिया। उष्णकालकीवमी धूपमें नीरंजननिराकाराखमा / कमगसुरने कियाकमाका / ननमंमलवादलचमा // 7 // उसी दिन्नको कमगसुरने / पिलादावाजगवाया / मेघमालीकी सेनालेकर। जलकू जलदीबुलवाया / वमाकिया घनघोरजोरसें। पवनचलाया मतवाला / कममकम कर दुआकमाका / चमक वीजका उजवाला // // मूसलधारा मेघवरसता / गगनगाजता चौताला / सातखूटकी वीऊमीमें / प्रनु खमा हे मतवाला॥नाकबरोबरपायापाणी नाथ निरंजनधीरवमा पराजय नहिं होय जिनूंका / एसाप्रनुका ध्यानचढा // ए॥ संकटसें सिंहासाणमोला / हुवा घंटकाआवाजा / अवधिज्ञानसें इंदर देखा // धा धा धरणीराजा // धरणीधरजलदीसेंधाया। पदमावतीकू संगलिया। पदमावतीने लियेशीसपर / शेषना. गनेत्रकिया // 10 // कोमल पायतो कियाकमठने / कुब्बी