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व्रत कथा कोष
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उदाहरण के लिये जंसे किसी को चतुर्दशी को एकाशन करना है, इस दिन रविवार को चतुर्दशी २३ घटी ४० पल है, और दिनमान ३२ घटी ३० पल है । क्या रविवार को एकाशन किया जा सकता है ?
यहां दिनमान ३२ / ३० को पांच का भाग दिया- ३२ / ३० : ५ = ६ / ३० इसको तीन से गुणा किया ६ / ३० x ३ = १६ / ३० गुणनफल हुआ । मध्यान्ह काल का प्रमाण को दृष्टि से १९ / ३० घट्यादि हुआ । तिथि का प्रमाण २३ / ४० घट्यादि है । यहां मध्याह्न काल के प्रमाण से तिथि का प्रमाण अधिक है अर्थात् तिथि मध्यान्ह काल के पश्चात् भी रहती हैं । एकाशन के लिये इसे ग्रहण करना चाहिये अर्थात् चतुर्दशी का एकाशन रविवार को किया जा सकता है, क्योंकि रविवार को मध्यान्ह में चतुर्दशी तिथि रहती है ।
दूसरा उदाहररण- मंगलवार को श्रष्टमी ७ घड़ी १० पल है । दिनमान ३२/३० पल है । एकाशन करने वाले को क्या अष्टमी को एकाशन करना चाहिये ?
पूर्वोक्त गणित के नियमानुसार ३२ / ३० : ५ = ६ / ३० इसे तीन से गुणा करने पर ६/०३×३ = १६ / ३० घट्यादि गुणनफल आया, यह गणितागत मध्यान्हकाल का प्रमाण है । तिथि का प्रमाण ७ घड़ी १० पल है, यह मध्यान्हकाल के प्रमाण अल्प है, अतः मध्यान्हकाल में मंगलवार को अष्टमी तिथि एकाशन के लिये ग्रहण नहीं की जायेगी । क्योंकि मध्यान्ह काल में इसका प्रभाव है । अतः अष्टमी का एकाशन सोमवार को करना होगा ।
एकाशन करने के तिथि - प्रमाण में और प्रोषधोपवास के तिथि - प्रमाण में बड़ा भारी अन्तर प्राता है । प्रोषधोपवास के लिये मंगलवार को अष्टमी तिथि ७ / ३० होने के कारण ग्राह्य है । क्योंकि छह घटी से अधिक प्रमाण है । अतः उपवास करने वाला मंगलवार को व्रत करे और एकाशन करने वाला सोमवार को व्रत करे - यह श्रागम की दृष्टि से अनुचित-सा लगता है, इस विवाद को जैनाचार्यों ने बड़े सुन्दर ढंग से सुलझाया है ।
मूलसंघ के प्राचार्यों ने एकाशन और उपवास दोनों के लिये ही कुलाद्रि छह घटी प्रमाण तिथि ही ग्राह्य बतायी है । प्राचार्य सिंहनंदी का मत है कि एकाशन के