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व्रत कथा कोष
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व्रत लिया। वे वन्दना करके नगर में पाये । बाद में यह व्रत यथा विधि से पालन किया, जिससे वे स्वर्ग सुख को भोगते हुये मोक्ष गये ।
अनंतज्ञान व्रत कथा व्रत विधि :--पहले के समान सब विधि करें, अन्तर सिर्फ इतना है कि ज्येष्ठ शुक्ल १० के दिन एकाशन करें व ११ के दिन उपवास करें। पूजा वगैरह पूर्ववत् करें।
कथा
पहले हस्तिनापुर के राजा विमलसेन रानी विमलवती के साथ सुख से राज्य करते थे। उनका लड़का कमलनाथ व उसकी पत्नी कमलावती थी। उसका बुद्धिसागर नामक मन्त्री था, उसकी स्त्री मतिवंती थी। और धवल कीर्तिनामक पुरोहित था, उसकी स्त्री गुणवती थी और गंगदत्त नामक सेठ व गंगदेवी नामक स्त्री थी। ये पूरा परिवार सुख से रहता था।
एक बार नगर के उद्यान में सूर्यमित्र नामक महान आचार्य संघ सहित आये । यह बात राजा ने सुनी तो वे दर्शन करने के लिये आये । धर्मोपदेश सुनने के बाद राजा ने कहा-हे संसार सिंधुतारक स्वामिन् ! हमें संसार-सुख का कारण हो ऐसा कोई व्रत दो, तब महाराज जी ने कहा-हे भव्योत्तम राजन् ! तुम्हें अनन्तज्ञान यह व्रत करना योग्य है । ऐसा कहकर उन्होंने सब विधि बतायी।
यह व्रत लेकर महाराज की वन्दना कर सब लोग घर आये । फिर उन्होंने समयानुसार यह व्रत किया । व्रत के प्रभाव से वे यथाक्रम से स्वर्ग सुख भोगकर मोक्ष गये।
अनंतवीर्य व्रत कथा व्रत विधि :-सब विधि पहले के समान करें, अन्तर केवल इतना है कि ज्येष्ठ शुक्ल ११ के दिन एकाशन करें। १२ के दिन उपवास कर पूजा वगैरह पूर्ववत् करें, णमोकार मन्त्र का जाप करें, तीन दम्पतियों को भोजन करावें, उनका वस्त्र आदि से सम्मान करें।