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व्रत कथा कोष
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नवकार व्रत नमोकार व्रत अब सुन राज सत्तर दिन एकान्तर साज ।
-वर्धमान पुराण भावार्थ :-यह व्रत सत्तर दिन में समाप्त होता है । सत्तर एकाशन करे । प्रतिदिन त्रिकाल णमोकार मन्त्र का जाप्य करे । पश्चात् उद्यापन करे ।
नंदसप्तमी व्रत भादों सुदी सप्तमी दिन जान, प्रोषध चरे सभी तज मान ।
भावार्थ :-भादों सुदि सप्तमी के दिन उपवास करे । नमस्कार मन्त्र का त्रिकाल जाप्य करे। सात वर्ष पूरे होने पर उद्यापन करे ।
निर्जर पञ्चमी व्रत प्रथम प्राषाढ़ श्वेत पञ्चमी को वास करे, कार्तिक लों मास पांच प्रौषध गहीजिये । पाठ प्रकार जिनराज पूजा भाव सेती, उद्यापन विधि कर सुकृत लहीजिए। कियो नागश्रीय सेठ सुता एक वरष लों। सुरगति पाय निधि कथातें गहीजिये । निर्जर पंचमी को व्रत यह सुखाकर भाव
शुद्ध किये दुःख को जलांजलि दीजिए। भावार्थ :--यह व्रत पांच महीने में समाप्त होता है जिसमें ६ उपवास होते हैं । आषाढ़ शुक्ला ५ का उपवास, श्रावण में पञ्चमी २, भाद्रपद में २, आश्विन में २, कार्तिक में २ इस प्रकार ५ मास ६ पञ्चमियों के उपवास करे। त्रिकाल नमस्कार मन्त्र का जाप्य करे । व्रत पूर्ण होने पर उद्यापन करे ।
___ यह व्रत सेठ पुत्री नागश्री ने किया था जिससे वह उत्तमोत्तम सुख को प्राप्त हुई थी।
नंदीश्वरपंक्ति व्रत दोहा- नंदीश्वर पंकति विरत, सुनहु भविक चित लाय ।
किये पुण्य प्रति ऊपजे, भव आताप मिटाय ।