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व्रत कथा कोष
त्रिलोकसम्बन्धिकाकृत्रिम जिनचैत्यालयेभ्यो नमः' इस मन्त्र का त्रिकाल जाप करे । तीन वर्ष बाद उद्यापन करे ।
___ यह व्रत हस्तिनागपुर के राजा विशाखदत्त की रानी विजय सुन्दरी ने किया था जिसके प्रभाव से स्त्रीलिंग छेदकर देव होकर फिर मनुष्य पर्याय प्राप्त कर मोक्ष प्राप्त किया ।
रुद्रवसन्त व्रत
रुद्रवसंत चवालिस दिना, पैंतीस प्रोषध नव पारणा ।
-वर्धमान पुराण भावार्थ :-यह व्रत चवालीस दिन में पूरा होता है, जिसमें ३५ उपवास और नव पारणा होते हैं । जैसे--
(१) दो उपवास एक पारणा, (२) तीन उपवास एक पारणा, (३) चार उपवास एक पारणा, (४) पांच उपवास एक पारणा, (५) छह उपवास एक पारणा, (६) छह उपवास एक पारणा, (७) चार उपवास एक पारणा, (८) तीन उपवास एक पारणा, (६) एक उपवास एक पारणा ।
इस प्रकार व्रत पूर्ण करे । त्रिकाल नमस्कार मन्त्र का जाप करे । व्रत पूरा होने पर उद्यापन करे।
तिथिक्षय और तिथिवृद्धि होने पर रत्नत्रय व्रत की व्यवस्था
तिथिक्षये चादिदिनं वाधिकेप्यधिक फलमिति । द्वादश्याधिके पूर्वतिथिनिर्णय ग्रहणात् धारणाद्वा; त्रयोदशी, चतुर्दशी, पूर्णिमा, इति तिथित्रयस्य मध्येऽन्यतरस्य