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व्रत कथा कोष
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क्रम से १२ उपवास भौर पारणा करने का विधान है । पुनः एक बेला और पारणा करने के पश्चात् उपवास और पारणा क्रम से आठ उपवास और आठ पारणाए ं करनी चाहिए । इस प्रकार इस व्रत में कुल चार बेला मौर पैंतालीस उपवास तथा बावन पारणाएं होती हैं । कुल उपवास ( ४+१२ + १२ + १२ + ८ + ४ बेला = ८ )
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५६ उपवास । पारणाए ४+१+१२+१+१२+१+१२+१+८ = ५२ होती । इस व्रत में 'ॐ ह्रीं नन्दीश्वरद्वीपस्थाकृत्रिम जिनालयस्थ जिनबिम्बेभ्यो नमः ।' मन्त्र का जाप किया जाता है। तीन महीना अठारह दिन तक शोलव्रत का पालन भी करना चाहिए |
संकटहरण व्रत
संकटहरण व्रत तीनों शाख, तेरसि तें दिन तीनों भाष ।
--वर्धमान पुराण
भावार्थ :-- यह व्रत एक वर्ष में तीन बार भाता है, भादों, माघ और चैत्र | शुक्ला त्रयोदशी से प्रारम्भ होकर पूर्णिमा को समाप्त होता है । प्रतिदिन त्रिकाल 'नों ह्रां ह्रीं ह्र ह्रौं ह्रः असि श्रा उ सा सर्वशान्ति कुरु कुरु स्वाहा' इस मन्त्र का त्रिकाल जाप्य करे । तीन वर्ष पूरा होने पर उद्यापन करे ।
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सकलसौभाग्य व्रत कथा
आश्विन शुक्ला चतुर्दशी के दिन प्रातःकाल में इस व्रत को पालन करने वाले को स्नानकर शुद्ध वस्त्र पहनकर, हाथों में पूजा की सामग्री लेकर मन्दिर में जाना चाहिये, मन्दिर को तीन प्रदक्षिणा लगाकर नमस्कार करे, ईर्यापथ शुद्धि क्रिया करे, अभिषेक पीठ पर नवदेवता यक्षयक्षि स्थापन कर पंचामृताभिषेक करे ।
ॐ ह्रीं श्रसि उसा मम सर्व सौभाग्यं कुरु कुरु स्वाहा ।
इस मन्त्र से गंधोदक लेवे, मंडपप्रसाधन करे, भगवान के आगे शुद्ध भूमि पर पंचरंग रंगोली नवदेवता मंडल निकाले, यन्त्र सामने रखे, मंडल के ऊपर आठ कुंभ कलश रखे, प्रष्ट द्रव्य का सब सामान सामने रखे, भ्रष्ट मंगल द्रव्य की स्थापना करे, पंचरंगासूत्र से वेष्टित करे, श्वेतसूत्र से कुंभ वेष्टित करके रखे, उसके ऊपर एक पात्र रखे, उस पात्र में नौ पान लगाकर उन पानों के ऊपर, गंध अक्षत, फूलादि