Book Title: Vrat Katha kosha
Author(s): Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti

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Page 789
________________ ७३० ] व्रत कथा कोष (४) दशमिनिमानी व्रत भादों सुदि दशमी व्रत धार, प्रादरयुत पर धर प्रहार । (५) चमकदशमी व्रत चमकदशमि और चमकाय, जो भोजन नहिं तो अन्तराय । (६) छहार दशमी व्रत छहार दशम व्रत हि परकार, छह सुपात्र को देय तमोर । (७) तमोर दशमी व्रत सम्बोभ दशमि व्रत को यह बोर, दश सुपात्र को देय तमोर । (८) पान दशमी व्रत पान दशमि बीरा दशपान, दश श्रावक दे भोजन ठान । (६) फूल दशमी व्रत फूल दशमी दश फूलन माल, दश सुपात्र पहिनाय प्रहार । (१०) फल दशमी व्रत फल दशमी फल दशकरलेय, दश श्रावक के घर-घर देय । (११) दीप दर्शामि व्रत दीप दशमि दश दीप बनाय, जिनहिं चढ़ाय आहार कराय । (१२) भाव दशमी व्रत भाव दशमी व्रत दशपुरी, दश श्रावक दे भोजन करी । न्योन दशमी व्रत न्योन दशमी दश दशमि कराय, नये-नये दशपात्र जिमाय । उड़ददशमी व्रत दशमी उडद - २ आहार पंच घरन मिलि जो अविकार । बारादशमी व्रत बारा दशमी सुहारी लेय, बारा २ दशघर देय ।

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