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व्रत कथा कोष
लघु सुखसम्पत्ति व्रत इस व्रत में १२० उपवास किये जाते हैं। प्रतिपदा का एक, दो द्वितीयाओं के दो, तीन तृतीयानों के तीन, चार चतुर्थियों के चार, पांच पंचमियों के पांच, छः षष्ठियों के छः, सात सप्तमियों के सात, आठ अष्टमियों के पाठ, नौ नवमियों के नौ, दश दशमियों के दश, ग्यारह एकादशियों के ग्यारह, बारह द्वादशियों के बारह, तेरह त्रयोदशियों के तेरह, चौदह चतुर्दशियों के चौदह एवं पन्द्रह पूर्णमासियों के पन्द्रह इस प्रकार एक सौ बीस उपवास सम्पन्न किये जाते हैं । १+२+३+४+ ५+६+ ७+६+६+१०+११ + १२+१३+ १४+ १५ = १२० उपवास । उपवास के दिनों में श्रावक के उत्तर गुणों का पालना और शीलवत धारण करना आवश्यक है ।
लघुचौतीसी व्रत अरिहंत भगवान के ३४ अतिशय प्राप्त करने का व्रत । इसके कुल उपवास ६५ हैं । दस उपवास दशमी के, २४ चतुर्दशी के, १६ अष्टमी के, ५ पंचमी के, ६ षष्ठी के ऐसे कुल ६५ उपवास करना।
लक्षणपंक्ति व्रत इस व्रत में मास, तिथि, पक्ष का नियम नहीं है पर शुरू करने के बाद पूर्ण होने तक करना चाहिए।
यह व्रत ४०८ दिन में पूरा होता है । इस व्रत के २०८ उपवास होते हैं एक उपवास, फिर एकाशन, फिर उपवास, दूसरे दिन एकाशन इस क्रम से उपवास पूरे हों तब तक करना चाहिए । यह व्रत बहुत से भव्य जीवों ने किया था।
-गोविन्दकृत व्रत निर्णय व्रत पूर्ण होने पर उद्यापन करना चाहिए, नहीं तो व्रत दूना करना चाहिए।
लघुपल्य विधान यह व्रत ३४ दिन का है। प्रारम्भ में एक उपवास एक पारणा, फिर दो
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