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व्रत कथा कोष
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बार जाप्य करे, व्रत कथा पढ़े, पूर्ण अर्घ चढ़ावे, उस दिन उपवास करे, ब्रह्मचर्य का पालन करे, दूसरे दिन पूजा व दान करके स्वयं पारणा करे ।
इस प्रकार | दिन पूजा करके दसवें दिन जिनपूजा करे, नैवेद्य चढ़ाकर विसर्जन करे, यह पूजा क्रम आश्विन शुक्ला एकम् से नौमी पर्यन्त करे । यथाशक्ति एकाशन करे, उपवास करे ।
इस प्रकार व्रत पूजा ६ वर्ष ६ महिना तक करके अन्त में उद्यापन करे, उस समय नवदेवता विधान करके महाभिषेक करे । चतुर्विध संघ को आहारादि देवे ।
कथा श्रेणिक राजा व चेलना रानी की कथा पढ़े ।
रत्नभूषरण व्रत कथा आषाढ़ शुक्ला नवमी से तीन दिन तक लगातार शुद्ध होकर मन्दिर में जावे, दर्शन की पूर्वोक्त सब विधि करे, अरहनाथ, मल्लिनाथ, मुनिसुव्रतनाथ भगवान का पंचामृताभिषेक करे, अष्ट द्रव्य से उनकी अलग-अलग पूजा करे, श्रुत व गणधर की पूजा करे, यक्षयक्षणी व क्षेत्रपाल की पूजा करे । ___ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं अहं अरमल्लि मुनिसुव्रत तीर्थंकरेभ्यो नमः स्वाहा ।
इस मन्त्र का १०८ बार पुष्प से जाप्य करे, णमोकार मन्त्र का १०८ बार जाप्य करे, व्रत कथा पढ़े, एक महाय॑ चढ़ावे, मंगल आरती उतारे, ब्रह्मचर्य पूर्वक उपवास करे, दूसरे दिन दानादिक देकर स्वयं पारणा करे ।
इस प्रकार नौ पूजाक्रम उपरोक्त तिथि को करके अन्त में उद्यापन करे, उस समय रत्नत्रय विधान कर महाभिषेक करे, चतुर्विध संघ को यथाविधि दान देवे ।
कथा श्रेणिक राजा और चेलना रानी की कथा पढ़े।