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व्रत कथा कोष
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णमोकार मंत्र का छह बार जाप करे, व्रत कथा पढ़े एक पूर्ण अर्घ्य चढ़ावे, उस दिन उपवास करे, ब्रह्मचर्य का पालन करे, धर्मध्यान से रहे, सत्पात्रों को दान देवे, छह वस्तुओं से स्वयं पारणा करे ।
इस प्रकार चार महीने तक इस व्रत को करके कार्तिक की अष्टान्हिका में उद्यापन करे, उस समय पद्मप्रभ तीर्थंकर का विधान करे, महाभिषेक करे, मुनि संघ को दान देवे, वेष्टन ६ और शास्त्र छह, माला छह, सब मन्दिर जी में भेंट करे ।
कथा
इस व्रत को एक पद्मराज नामक राजा ने पालन किया था उसके फल से परम्परा से मोक्ष पा गया ।
इस व्रत को राजा श्रेणिक और रानी चेलना ने भी किया था उनकी कथा
पढ़ें।
अथ षोडशक्रिया व्रत कथा आषाढ शुक्ल अष्टमी को शुद्ध होकर मन्दिर में जावे, तीन प्रदक्षिणापूर्वक भगवान को नमस्कार करे, शांतिनाथ भगवान का पंचामृताभिषेक करे, प्रष्ट द्रव्य से पूजा करे, यक्षयक्षि व क्षेत्रपाल की पूजा करे, श्रुत व गणधर की पूजा करे।
ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं महं शांतिनाथतीर्थकराय गरुडयक्ष महामानसीयक्षी सहिताय नमः स्वाहा ।
___ इस मन्त्र का १०८ बार पुष्प से जाप्य करे, णमोकार मन्त्र का १०८ बार जाप्य करे, व्रत कथा पढ़े, एक पूर्ण अर्घ्य चढ़ावे, उस दिन उपवास करे, शक्ति अनुसार उपवास व एकासन करे, ब्रह्मचर्य का पालन करे, दान देकर पारणा करे, सोलह अष्टमी को इस व्रत का पालन करे, फाल्गुन शुक्ल अष्टमी को इस व्रत का उद्यापन करे, शान्ति विधान करे, महाभिषेक करें।
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कथा इस व्रत का राजा वज्रजंघ और श्रीमती रानी ने पालन किया था, इस व्रत के अन्दर राजा श्रोणिक और रानी चेलना की कथा पढ़े।