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व्रत कथा कोष
इस मन्त्र का १०८ बार पुष्प लेकर जाप्य करे, व्रत कथा पढ़े, रामोकार मन्त्र का १०८ बार जाप्य करे, एक अर्ध्य नारियल रखकर पूर्ण अर्थ रूप में चढ़ावे, मंगल आरती उतारे, उस दिन उपवास करे, ब्रह्मचर्य का पालन करे, दूसरे दिन पूजा करके मुनियों को आहार दान करके स्वयं पारणा करे ।
इस प्रकार पांच महिने उसी तिथि को व्रत पूजन करें, अन्त में उद्यापन करे, उस समय सुमतिनाथ तीर्थंकर विधान करे, महाभिषेक करे, चतुविध संघ को दान देवे ।
कथा
राजा श्रेणिक की कथा पढ़े, रानी चेलना की कथा पढ़े ।
लघु कल्याणक व्रत
लघुकल्याणक व्रत दिन पंच, एक एक दिन वहि विधि संच । प्रोषध कंजिक एक लठान, रूक्ष जु श्रनागार पहिचान |
- वर्ध० पु०
भावार्थ :- यह व्रत पांच दिन में पूरा होता है जिसमें प्रथम १ दिन उपवास, दूसरे १ दिन कiजिक भोजन, तीसरे १ दिन एक लठामा, चौथे एक दिन रूक्ष भोजन, पांचवें १ दिन मुनिवृत्ति से भोजन करे । व्रत पूर्ण होने पर उद्यापन करे । त्रिकाल नमस्कार मन्त्र का जाप्य करे ।
वीरशासनजयन्ती व्रत
वासस्स पढममासे पड़मे पक्खम्भिसावरणे वहुले । पडिवद पुत्रदिवस तिथ्युत्पत्ति प्रभिजम्हि ||
( धवला प्रथम खंड ) भावार्थ :-- श्रावण कृष्ण प्रतिपदा के प्रथम प्रहर में अन्तिम तीर्थंकर श्री महावीर स्वामी की दिव्य वाणी प्रकट हुई थी और उसके द्वारा अनन्तानन्त संसारी जीवों का कल्याण हुआ था, श्रतएव इस पवित्र दिन उपवास करे । श्री महावीर स्वामी का अभिषेक पूजन करे । ॐ ह्रीं श्री महावीराय नमः इस मन्त्र का त्रिकाल जाप्य करे ।