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व्रत कथा कोष
इस मन्त्र से १०८ पुष्प लेकर जाप्य करे, णमोकार मन्त्र का १०८ बार जाप्य करे, व्रत कथा पढ़े, एक पूर्ण अर्घ्य चढ़ावे, पूर्वोक्तविधि से मंगल आरती उतारे, उपवास करे, ब्रह्मचर्य का पालन करे, दानादि देकर स्वयं सप्तमी से नवमी पर्यन्त पांच वस्तु से एका शन करे, अष्टमी का उपवास करे, इस प्रकार चार महिने तक प्रत्येक अष्टमी चतुर्दशी के दिन व्रतपूर्वक भगवान की पूजा करे, आगे की अष्टान्हिका में व्रत का उद्यापन करे, उस समय पंचपरमेष्ठि को एक नवीन प्रतिमा तैयार कराकर प्रतिष्ठा करावे, महाभिषेक करे, विधान करें, चतुर्विध संघ को दान देवे ।
कथा इस व्रत को सेठ सुदर्शन ने पालन किया था, इसलिये सुदर्शन कथा पढ़े।
पंच श्रत ज्ञान व्रत यह व्रत ३३६ दिन में पूर्ण होता है । इसमें १६८ उपवास व १६८ पारणे होते हैं, एक उपवास एक पारणा इस क्रम से यह व्रत करना चाहिये । इस व्रत में "ॐ ह्रीं श्रुत ज्ञानाय नमः" इस मन्त्र का १०८ बार जाप करना चाहिये, व्रत पूर्ण होने पर उद्यापन करना चाहिए।
(जैन व्रत विधान संग्रह) अथ श्रीपंचमी व्रत कथा
व्रत विधि-आषाढ़ शुक्ला पंचमी के दिन इस व्रत वाले प्रातःकाल स्नान करके सोला का कपड़ा पहनकर, सर्व प्रकार का पूजा साहित्य अपने हाथ में लेकर जिनमन्दिर में जावे, वहां जाकर क्रिया करना चाहिये, जिनेन्द्रप्रभु के आगे घी का दीपक जलावे, जिनेन्द्र प्रतिमा जो यक्षयक्षि व अष्टप्रातिहार्य सहित हो उस प्रतिमा का पञ्चामृत अभिषेक करना व अष्टद्रव्य से पूजा करना।
"ॐ ह्रीं अहं अर्हत्परमेष्ठिभ्यो नमः स्वाहा ।"
इस मन्त्र से १०८ बार सुगन्धित पुष्पों से जाप्य करे, और १०८बार णमोकार मन्त्र का जाप्य करे, उसके बाद श्रत, गुरु की पूजा करना, यक्षयक्षि व क्षेत्रपाल का यथायोग्य सम्मान करना (अर्चन करना) उसके बाद पूर्ण अर्ध्य करके