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व्रत कथा कोष
इस मन्त्र से १०८ बार पुष्प लेकर जाप्य करे, रणमोकार मन्त्र का जाप्य करे, व्रत कथा पढ़े, एक नारियल सहित पूर्ण अर्घ्य चढ़ावे, मंगल भारती उतारे, उस " दिन उपवास करे, सत्पात्रों को दान देवे, ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करे, दूसरे दिन दान देकर स्वयं पारणा करे, उपवास करने की शक्ति नहीं होने पर पांच 'वस्तु से पारणा करे, पंचपरावर्तन नष्ट करने के लिये पांच माला णमोकार मन्त्र की फेरे ।
इस प्रकार प्रत्येक महिने की पंचमी को व्रत कर पूजा करे, कार्तिक शुक्ला पंचमी को उद्यापन करे, उस समय पंचपरमेष्ठि विधान करके महाभिषेक करे, पांच मुनियों को प्राहारादि देवे, पांच शास्त्र भेंट करे, यथायोग्य सबको दान देवे ।
कथा
इस व्रत को राजा पाण्डु और कुन्ती ने पालन किया था, व्रत के प्रभाव से दीक्षा लेकर स्वर्ग के सुख भोग रहे हैं ।
इस व्रत की कथा राजा श्रेणिक और रानी चेलना की कथा पढ़े । पर्वमंगल व्रत कथा
बैशाख शुक्ला एकम से तृतीया तक नित्य शुद्ध होकर मंन्दिर में जाये, तीन प्रदक्षिणा पूर्वक भगवान को नमस्कार करे ।
आदिनाथ भगवान की मूर्ति स्थापन कर पंचामृताभिषेक करे, अष्टद्रव्य से पूजा करें, यक्षयक्षिणी की व क्षेत्रपाल की पूजा करे, श्रुत व गुरु की पूजा करे, दीप जलावे ।
ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं श्रादिनाथ तीर्थंकराय गौमुखयक्ष चक्रेश्वरी यक्षी सहिताय नमः स्वाहा ।
इस मन्त्र से १०८ पुष्प लेकर जाप्य करे, णमोकार मन्त्र का जाप्य करे, व्रत कथा पढ़े, एक पर्गा अर्घ्य चढ़ावे, उस दिन उपवास करे, ब्रह्मचर्य का पालन करे, सत्पात्रों को दान देवें ।
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इस प्रकार इस व्रत को तीन वर्ष तक करें, या तीन महिने करे या तीन पक्ष करें, अपनी शक्ति प्रणाम व्रत करके अंत में उद्यापन करे, चतुर्विध संघ को
दान देवे ।