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व्रत कथा कोष
है । तिथि की हानि, वृद्धि होने पर पूर्वोक्त क्रम समझना चाहिए। इस प्रकार मासिक
व्रतों का कथन समाप्त हुआ ।
विवेचन :- सुगन्ध दशमी व्रत भादों सुदी दशमी को किया जाता है । न मालूम आचार्य ने यहां किस अभिप्राय से पौष सुदी पञ्चमी से पौष सुदी दशमी तक किये जाने वाले व्रत को सुगन्ध दशमी व्रत कहा है । इस व्रत की प्रसिद्धि भादों सुदी दशमी की है ।
व्रत के दिन चारों प्रकार के आहार का त्याग कर श्री जिनेन्द्रदेव की पूजा, अभिषेक भादि करे । दसवें तीर्थंकर श्री शीतलनाथ भगवान की पूजा विशेषतः की जाती है । रात्रि जागरणपूर्वक बितायी जाती है । ॐ ह्रीं श्रीं श्रीशीतलनाथजिनेन्द्रायः नमः'
मन्त्र का जाप किया जाता है । प्रोषध के दूसरे दिन चौबीसों भगवान की पूजा तथा अतिथिको प्रहारदान देने के उपरान्त पारणा की जाती है । इस व्रत को सौभाग्य की आकांक्षा से प्रायः स्त्रियां करती हैं । व्रत के मध्यान्ह में पूर्वोक्त मन्त्र के प्रत्येक उच्चारण के साथ अग्नि में धूप का हवन किया जाता है ।
माससावधिक व्रतों का कथन
मास सावधिकानि ज्येष्ठ जिनवर सूत्र चन्दन षष्ठी निर्दोषसप्तमी मुक्तावली रत्नत्रयानन्तमेघमालाषोडशकार रग शुक्ल पञ्चम्यष्टान्हिकादीनि ।
अर्थ :—माससावधिक ज्येष्ठ जिनवर, सूत्रव्रत, चन्दनषष्ठी, निर्दोषसप्तमी, जिन रात्रि, मुक्तावली, रत्नत्रय, अनन्त, मेघमाला, शुक्लपञ्चमी और अष्टान्हिका आदि हैं ।
जिनरात्रि
मासिकव्रत
पञ्चमासचतुर्दशी - पुष्पचतुर्दशी
मासिकानि रत्नावली- पुष्पाञ्जलिलाब्धिविधान कार्यानिर्जरादीनि व्रतानिभवन्ति ।
अर्थ :-- मासिकव्रतों में पञ्चमासचतुर्दशी पुष्यचतुर्दशी, शीलचतुर्दशी, रूपचतुर्दशी, कनकावली, रत्नावली, पुष्पाञ्जलि, लब्धिविधान और कार्यनिर्जरा इत्यादि व्रत हैं ।
शील चतुर्दशी- कनकावली