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व्रत कथा कोष
यह व्रत राजा श्रेणिक व रानी चेलना ने किया था।
पंचमास चतुर्दशी व्रत प्राषाढ़ से कार्तिक इन पांच महिने की शुक्लपक्ष चतुर्दशी को प्रोषधोपवास करे, इस व्रत में मात्र पांच ही उपवास होते हैं।
___ इसकी दूसरी विधि में इन पांच महिने के शुक्लपक्ष की और कृष्णपक्ष की दोनों चतुर्दशी को उपवास करे, १० उपवास मिलाने से पंच चतुर्दशी व्रत होता है, आषाढ़ में शुद्ध चतुर्दशी को शील चतुर्दशी कहते हैं, श्रावण शुद्ध चतुर्दशो को रूप चतुर्दशी कहते हैं यह मासिक व्रत होता है वर्ष में एक महिने अथवा दो महिने करने वाले व्रत को मासिक व्रत कहते हैं ।
व्रत पूर्ण होने पर व्रत का उद्यापन करे, उद्यापन करने की शक्ति नहीं होने पर दुगने व्रत करे।
कथा राजा श्रेणिक और रानी चेलना की कथा पढ़े।
अथ पुवेदनिवारण व्रत कथा व्रत विधि :- पहले के समान विधि करे । अन्तर सिर्फ इतना है कि चैत्र कृष्ण ३ के दिन एकाशन करे और चतुर्थी के दिन उपवास करे । अनंतनाथ तीर्थंकर की पूजा मन्त्र, जाप, पत्ते मडला आदि करना चाहिए ।
पंचपर्व व्रत कया ___ अाषाढ़ शुक्ल पंचमी को शुद्ध होकर, मन्दिर जी में जावे, प्रदक्षिणापूर्वक भगवान को नमस्कार करे, पंचपरमेष्ठि भगवान की प्रतिमा स्थापन कर पंचामृताभिषेक करे, अष्टद्रव्य से पूजा करे, यक्षयक्षि व क्षेत्रपाल की पूजा करे।
ॐ ह्रां ह्रीं ह्र. ह्रौं ह्रः अर्हसिद्धाचार्योपाध्याय सर्वसाधुभ्यो नमः स्वाहा।
इस मन्त्र से १०८ बार पुष्प लेकर जाप्य करे, णमोकार मन्त्र का १०८ बार जाप्य करे, व्रत कथा पढ़े, एक पूर्ण अर्घ्य चढ़ावे, मंगल आरती उतारे, आहार• दान देवे, ब्रह्मचर्य फाले ।