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व्रत कथा कोष
११ तिथि
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ग्रास
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१५ अमावश्या को उपवास करके पूर्ववत् पूजा करे। दूसरे दिन पूजा कर दान देकर स्वयं पारणा करे, तीस दिन ब्रह्मचर्य पूर्वक व्रत करे, प्रत्येक दिन पूर्ववत् अभिषेक पूजा करे।
इस प्रकार इस व्रत को बारह वर्ष तक करे, अन्त में उद्यापन करे, चंद्रप्रभ विधान करके महाभिषेक करे, चतुर्विध संघ को दान देवे ।
कथा इस व्रत को यशोभद्रा नाम की सेठानी ने विधिपूर्वक पालन किया था, उसके फलस्वरूप सुकुमाल सा पुत्र उत्पन्न हुआ। कथा में राजा श्रेणिक और रानी चेलना को कथा पढ़े।
कल्याणतिलक व्रत विधि और कथा फाल्गुन शुक्ला अष्टमी से पूर्णिमा तक व्रत को करने वाले व्रतिक को प्रातः काल में स्नान कर शुद्ध वस्त्र पहनना चाहिए, मन्दिर में जाकर तीन प्रदक्षिणा लगावे, ईर्यापथ शुद्धि करके भगवान को नमस्कार करे, अखंड दीपक जलावे, अभिषेक पीठ पर जिनेन्द्र प्रभु को स्थापन कर याने नन्दीश्वर बिंब को स्थापन कर चौबीस तीर्थकर की मति यक्षयक्षि सहित स्थापन कर, पंचामृताभिषेक करे, पंच मंदरवर स्थापन करे, आगे एक पाटा के ऊपर आठ स्वस्तिक निकालकर उनके ऊपर पान रखे, फिर उनके ऊपर अष्टद्रव्य रखे फिर अष्टद्रव्य से पूजा करे, पंच पकवान चढ़ावे, जिनवाणी व गुरु की पूजा करे, यक्षयक्षि व क्षेत्रपालादिक की योग्यतानुसार पूजा करे ।
ॐ ह्रीं अहं चतुर्विंशति तीर्थकरेभ्यो यक्षयक्षो सहितेभ्यो नमः स्वाहा । इस मन्त्र से पुष्प लेकर १०८ बार जाप्य करे । जिन सहस्र नाम पढ़े,