________________
व्रत कथा कोष
. . [३१५
कर भगवान को नमस्कार करे, यक्षयक्षणी सहित अजितनाथ प्रतिमा का पञ्चामृताभिषेक करे, अष्टद्रव्य से पूजा करे, श्रुत, गणधर, यक्षयक्षि व क्षेत्रपाल की पूजा करे ।
____ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं अहँ अजितनाथाय महायक्ष रोहिणी सहिताय नमः स्वाहा।
इस मन्त्र से १०८ बार पुष्प लेकर जाप्य करे, णमोकार मन्त्र का १०८ बार जाप्य करे, व्रत कथा पढ़, अर्घ्य चढ़ावे, मंगल आरती उतारे, एक पुष्पहार भगवान के चरणों में चढ़ावे, अखण्डदीप जलावे, उस दिन उपवास करे, ब्रह्मचर्य का पालन करे, दूसरे दिन सत्पात्रों को दान देकर स्वयं पारणा करे।
इस प्रकार प्रति दिन चार महिने तक भगवान की पूजा करके एक पुष्पहार नित्य भगवान को चढ़ावे, अन्त में कार्तिक अष्टान्हिका में व्रत का उद्यापन करे, उस समय अजितनाथ विधान करें, महाभिषेक करे, चतुर्विध संघ को दान देवे ।
कथा
इस व्रत को पूर्णभद्र ने पालन किया था। दीक्षा लेकर स्वर्ग में देव हुआ, क्रमशः मोक्ष को गया ।। कथा में राजा श्रेणिक व रानी चेलना को कथा पढ़े।
सर्वदोष परिहार व्रत कथा आषाढ शुक्ला अष्टमी को शुद्ध होकर मन्दिर में जावे, प्रदक्षिणा लगाकर भगवान को नमस्कार करे, पंचपरमेष्ठि की प्रतिमा का पंचामृताभिषेक करके अष्टद्रव्य से पूजा करे, श्रु त व गणधर की, क्षेत्रपाल व यक्षयक्षि की पूजा करे।
____ॐ ह्रीं अहं अर्हत्सिद्धाचार्योपाध्याय सर्वसाधुभ्यो नमः स्वाहा ।
____ इस मन्त्र से १०८ बार पुष्प लेकर जाप्य करे, णमोकार मन्त्र का १०८ बार जाप्य करे, व्रत कथा पढ़, एक अर्घ्य चढावे, मंगल आरती उतारे, इस प्रकार इस व्रत की नव पूजा करे, एक ही वस्तु से एकाशन करे, ब्रह्मचर्य का पालन करे, अणुव्रतों का पालन करे, सर्व कषाय छोड़ते हुए धर्मध्यान से समय बितावे, आहारदान देवे ।