________________
३१६ ]
व्रत कथा कोष
इस प्रकार इस व्रत को पांच अष्टान्हिका में करके अन्त में उद्यापन करे । उस समय पंचपरमेष्ठि विधान कर महाभिषेक करे, एक नयी प्रतिमा लाकर पंचकल्याण प्रतिष्ठा करे, चतुविध संघ को दान देवे ।
कथा
राजा श्रेणिक व रानी चेलना की कथा पढ़ े । श्रथ दुर्गतिनिवारण व्रत कथा
माघ कृष्णा एकम के दिन स्नान कर शुद्ध वस्त्र पहन पूजा सामग्री हाथ में लेकर मन्दिर में जावे. मन्दिर की तीन प्रदक्षिणा लगाकर ईर्यापथ शुद्धि करे, भगवान को साष्टांग नमस्कार करे, मन्दिर में दीप जलावे, अभिषेक पीठ पर शांतिनाथ तीर्थंकर क्षक्ष सहित प्रतिमा स्थापन कर भगवान का महाभिषेक करे । श्रादिनाथ से लगा कर शांतिनाथ तीर्थंकर तक प्रत्येक तीर्थंकर की पंचकल्याणकपूर्वक पूजा करे, श्रुत व गुरु की पूजा करे, यक्षयक्षि के प्रत्येक के अर्घ्य चढ़ावे, क्षेत्रपाल को अर्घ चढ़ावे ।
ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं ग्रह श्री शांतिनाथाय यक्षयक्षि सहिताय नमः
स्वाहा ।
इस मन्त्र से १०८ पुष्प लेकर जाप्य करे णमोकार मन्त्र का १०८ बार जाय करे, श्री सहस्रनाम स्तोत्र का पाठ कर, शांतिनाथ चरित्र पढ़ े, एक महाथाली में लेकर मंगल आरती उतार, मन्दिर की तीन प्रदक्षिणा लगावे, अर्ध्य चढ़ा देवे । उस दिन उपवास करे, ब्रह्मचर्य का पालन करे, धर्मध्यान से समय निकाले, दूसरे दिन पारणा करे ।
इस प्रकार प्रत्येक महिने की उसी तिथि को पूजा करे । इस प्रकार पच्चीस पूजा उपवास पूर्ण होने पर व्रत का उद्यापन करे, उस समय शांतिनाथ पूजा, मंडल आराधना करे, महाभिषेक करे, चतुविध संघ को आहारदान देवे, मन्दिर में चार घंटा, चार कलश, धूपदान वगैरह उपकरण चढ़ावे, इस व्रत को अनेक लोगों ने पालन कर मोक्ष सुख की प्राप्ति की है ।
हे भव्य जीवो आप भी इस व्रत को श्री गुरु के पास ग्रहण करो और यथाविधि पालन करो, अन्त में उद्यापन करो, जिससे मोक्ष सुख की प्राप्ति होवे ।