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व्रत कथा कोष
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(१) जन्म के दश अतिशयों के दश दशमियों के १० उपवास करे । (२) केवलज्ञान के दश अतिशयों के दश दशमियों के १० उपवास करे । (३) देवनकृत चौदह अतिशयों के चौदह चौदशियों के १४ उपवास करे। (४) चार अनन्तचतुष्टय के चार चौथों के चार उपवास करे । (५) आठ प्रातिहार्यों के १६ अष्टमियों के १६ उपवास करे । (६) पांच ज्ञान के पंचमियों के पांच उपवास करे । (७) छह षष्ठियों के छह उपवास करे।
इस प्रकार व्रत पूर्ण कर उद्यापन करे । श्रीं ह्रीं णमो अरिहन्ताणं मन्त्र का जाप्य करे।
चन्द्र कल्याणक व्रत चन्द्र कल्याणक दिवस पच्चीस, पांच-पांच दिन ब्योरे दीस । प्रोषध कंजिक एक लठान, रूक्ष जु अनागार पहिचान । चन्द्र कल्याणक व्रत विधि येह, मन वच तन करिये भविलोय ।
-वर्धमान पु० भावार्थ :-यह व्रत २५ दिन में पूरा होता है । जिसमें प्रथम पांच दिन उपवास, दूसरे पांच दिन कांजिक भोजन, तीसरे पांच दिन एकलठाना, चौथे पांच दिन रूक्ष भोजन, पांचवें पांच दिन मुनिवृति से भोजन करे । व्रत पूर्ण होने पर उद्यापन करे । नमस्कार मन्त्र का त्रिकाल जाप्य करे ।
चौबीस तीर्थंकर व्रत तीर्थंकर चौबीसी सार, करै वास चौबीस विचार ।
-वर्धमान पुराण भावार्थ :-यह व्रत २४ दिन में ही समाप्त हो जाता है, २४ तीर्थंकरों के २४ उपवास करे। 'ओं ह्रीं वृषभादिचतुविंशतितीर्थकरेभ्यो नमः' इस मन्त्र का त्रिकाल जाप्य करे।