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व्रत कथा कोष
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कथा
राजा श्रेणिक और रानी चेलना की कथा पढ़े।
अथ जम्बूस्वामी व्रत कथा व्रत विधि :- आश्विन कृष्ण १३ के दिन एकाशन करे । और १४ के दिन शुद्ध कपड़े पहनकर अष्ट द्रव्य लेकर मन्दिर जाये । वहां दर्शन आदि करके वेदी पर मण्डप आदि करे उस पर पाठ कुम्भ रखकर उस पर वस्त्र व पंचवर्णी सूत लपेटे अष्ट मंगल द्रव्य रखे बीच में कलश रखे । ऊपर एक थाली रखकर उसमें यंत्र निकाल उस पर २४ पान रखे उस पर अष्ट द्रव्य रखे वेदी पर चौबीस तीर्थंकर प्रतिमा विराजमान करे । यक्ष यक्षी भी रखे और पंचामृत अभिषेक करे। फिर वह प्रतिमा यंत्र पर रखे और नित्य नियम की पूजा पढ़ने के बाद २४ तीर्थंकर की पूजा पढ़े । २४ नैवेद्य चढ़ावे ।
ॐ ह्रीं अर्ह वृषभादि वर्धमानांत चतुविंशति तीर्थ करेभ्यो यक्ष-यक्षी सहितेभ्यो नमः स्वाहा ।
___ इस मन्त्र का १०८ बार पुष्प से जाप करे । णमोकार मन्त्र का १०८ बार जाप करे । सहस्र नाम पढ़कर यह कथा पढ़े । श्रुत व गुरु की पूजा करे । फिर एक थाली में २४ पत्ते रखकर उसमें अष्ट द्रव्य और नारियल रखकर आरती करे । उस दिन उपवास करे । सत्पात्र को दान दे । दूसरे दिन दान व पूजा कर पारणा करे ।
इस प्रकार यह व्रत २४ महिने इसी तिथि को करे । और कार्तिक अष्टान्हिका में उद्यापन करे। उस समय श्री सम्मेदशिखरजी विधान करे । महाभिषेक करे । चतुर्विध संघ को दान दे, २४ मन्दिर के दर्शन करे ।
कथा इस राजगृह नगर में अर्हदास नामक एक राजश्रेष्ठी रहता था, उसको जम्बू कुमार नामक पुत्र था वह कामदेव पदवी का धारी था । अन्त समय दीक्षा ली, तपश्चर्या करके कर्मों की निर्जरा कर मोक्ष गये ।
अथ जीवंधर स्वामी व्रत कथा अथवा बुधवार व्रत कथा व्रत विधि :-कार्तिक के शुक्ल पक्ष में पहिले मंगलवार को एकाशन करे