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व्रत कथा कोष
व्रत करे, पूजा करे, चार महिने पूर्ण होने पर कार्तिक अष्टान्हिका में व्रत-का उद्यापन करे, शिखरजी विधान करे, उद्यापन करे, कथा पूर्ववत् पढ़ ।
देवगति निवारण व्रत कथा उसी प्रकार इस व्रत को भी करे, मात्र आषाढ़ शुक्ला सप्तमी को एकासन, अष्टमी को उपवास, चौबीस तीर्थंकरों की आराधना करे, मंत्र जाप्य भी इन्हीं का करे, इस प्रकार प्रत्येक महीने की अष्टमी को पूजा व्रत करे, नव पूजा पूर्ण होने पर कार्तिक में उद्यापन करे, शिखरजी विधान करे, बाकी सब पूर्ववत् समझे, कथा भो वही पढ़े।
अथ तेज कायनिवारण व्रत कथा विधि :-पहले के समान विधि करे। अन्तर इतना है कि चैत्र शुक्ला ७ को एकाशन करे और अष्टमी के दिन उपवास करे । चन्द्रप्रभु तीर्थंकर की पूजा मन्त्र जाप आदि करे । ७ पत्ते रखे ।
तपाचार व्रत कथा आषाढ़ शुक्ला एकम को शुद्ध होकर मन्दिरजी में जावे, प्रदक्षिणा करके भगवान को नमस्कार करे, वासुपूज्य भगवान की यक्षयक्षि सहित प्रतिमा स्थापन कर पंचामृताभिषेक करे, अष्ट द्रव्य से पूजा करे, नैवेद्य चढ़ावे ।
ॐ ह्रीं श्रीं क्ली ऐं अहं वासुपूज्य तीर्थंकराय षण्मुखयक्ष गांधारीयक्षी सहिताय नमः स्वाहा ।
इस मन्त्र से १०८ बार पुष्प लेकर जाप्य करे, णमोकार मन्त्र का १०८ बार जाप्य करे, व्रत कथा पढे, एक पूर्ण अर्घ्य चढ़ावे, सत्पात्रों को दान देवे, ब्रह्मचर्यपूर्वक रहे।
इस प्रकार प्रतिदिन पूजा कर बारह धारणा पारणा करे, बारह एकभुक्ति करे, १२ उनोदर करे, १२ फलाहार, १२ कांजी आहार, १२ रस परित्याग, १२ दिन मात्र एक वस्तु परिसंख्यान करे, १२ दिन एक वस्तु खावे, १२ दिन दो वस्तु खावे और बारह दिन चार वस्तु खावे ।