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व्रत कथा कोष
तीन चौबीसी व्रत दोहा-व्रत चौबीसी तीन को, सुकल भाद्रपद तीज । प्रोषध कीजे शीलयुत, सुर शिव सुख को दोज ।
कि. सि० कि०
भावार्थ :-यह व्रत भाद्रपद कृष्ण तृतीया के दिन किया जाता है । प्रति वर्ष इस दिन उपवास करे । नमस्कार मन्त्र का त्रिकाल जाप्य करे । तीन वर्ष पूर्ण होने पर उद्यापन करे।
तीर्थकरबेला व्रत दोहा-ऋषभ आदि तीर्थेश के, बेला बीस रु चार ।
पाठे चौदशि कीजिये, अंतर मूर न पार ॥ चौपाई-सातें पाठे बेला ठान, नोमी दिवस पारणो जान ।
तेरस चौदस द्वय उपवास, मावस पून्यो भोजन तास । प्रवे पारणे की विधि जिसी, सुनी बखानत हों मैं तिसी। बेला प्रथम पारणो येह, तीन अंजुली शर्बत लेय । अरु तेबीस पारणे जान, तीन अंजुली दूध बखान । इम बेला कीजे चौबीस, तिनत फल प्रति लेह गिरीश ।
-कि० सि० कि०
भावार्थ :-यह व्रत ६ महिने में पूर्ण होता है जिसमें २४ बेला और २४ पारणा होते हैं
(१) ऋषभनाथ का बेला :-सप्तमी, अष्टमी का उपवास और नोमी को तीन अंजुली शर्बत का पारणा ।
__ (२) अजितनाथ का बेला :- त्रयोदशी और चतुर्दशी का उपवास और पूर्णिमा को ३ अंजुली दूध का पारणा ।