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व्रत कथा कोष
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उद्यापन करे, उस समय आदिनाथ विधान (भक्तामर) करके महाभिषेक करे, चतुर्विध संघ को दान देवे ।
कथा
मणिमाली सेठ ने मुनिराज के जले हुये सिर में लक्षमूल तैल लगाकर प्रभयदान किया था, उसके फल से स्वर्ग मोक्ष को प्राप्त किया। कथा में राजा श्रेणिक व रानी चेलना की कथा पढ़ ।
अथ कापोतलेश्यानिवारण व्रत कथा विधि :-पहले के समान सब विधि करे । अन्तर केवल इतना है कि चैत्र कृष्णा १३ के दिन एकाशन करे । १४ के दिन उपवास करे, पार्श्वनाथ भगवान तीर्थ कर की पूजा, जाप, मांडला आदि करे ।
. अथ कृष्णलेश्यानिवारण व्रत कथा । विधि :-पहले के समान सब विधि करे । अन्तर केवल इतना है कि चैत्र कृष्णा ११ के दिन एकाशन करे, १२ के दिन उपवास करे। नमिनाथ भगवान की पूजा, मन्त्र, जाप, मांडला आदि करे ।
कर्मनिर्जरा व्रत की विधि कर्मनिर्जरस्तु भाद्रपदशुक्लामेकादशीमारभ्य चतुर्दशोपर्यन्तं भवति । हानिवृद्धी च से एक क्रमः ज्ञातव्यः ।
अर्थ :-कर्मनिर्जरावत भादों सुदी एकादशी से लेकर भादों सुदी चतुर्दशी तक चार दिन किया जाता है। तिथिहानि और तिथिवृद्धि होने पर पूर्वोक्त क्रम ही व्रत की व्यवस्था के लिए ग्रहण किया गया है। - विवेचन :-कर्मनिर्जरा व्रत के सम्बन्ध में दो मान्यताएं प्रचलित हैं-प्रथम मान्यता भादों सुदी एकादशी से लेकर चतुर्दशी तक व्रत करने की है । दूसरी मान्यता के अनुसार आषाढ़ सुदी चतुर्दशी, श्रावण सुदी चतुर्दशी, भादों सुदी चतुर्दशी एवं प्राश्विन सुदी चतुर्दशी इन चार तिथियों को व्रत करने की है। ये चारों उपवास क्रमशः सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान, सम्यग्चारित्र और सम्यक् तप के हेतु एक वर्ष