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व्रत कथा कोष
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इस प्रकार आठ दिन पूजा करे, मार्गशीर्ष कृष्णा एकम को ( महाराष्ट्र का कार्तिक कृष्णा एकम) विसर्जन करे, आठ दिन बारह व्रत का पालन करे ।
कथा
इस व्रत को पहले राजा दशरथ ने पाला था, उसके प्रभाव से रामादि पुत्र उत्पन्न हुये और अंत में दीक्षा ग्रहण कर स्वर्ग में देव हुये ।
श्रथ कल्याणमंगल व्रत कथा
शुद्ध होकर जिनमन्दिरजी में जाकर पंचामृताभिषेक करे, अष्टद्रव्य से पूजा यक्षयक्षि व क्षेत्रपाल की पूजा करे । श्रहं विमलनाथाय पातालयक्ष वैरोटोदेवि सहिताय
आषाढ़ शुक्ल त्रयोदशी के दिन नमस्कार करे, फिर विमलनाथ तीर्थंकर का करे, श्रुत व गुरु की पूजा करे, ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं
नमः स्वाहा ।
इस मन्त्र का १०८ बार पुष्प लेकर जाप्य करे णमोकार मन्त्र का १०८ बार जाप्य करे, व्रत कथा पढ़ े, एक पूर्ण अर्घ्य चढ़ावे, यथाशक्ति उपवास करे, ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करे, आहार दानादि देवे ।
इस प्रकार तेरह त्रयोदशी को व्रत पूजा करके उद्यापन करे, उस समय विमलनाथ तीर्थंकर का विधान करके महाभिषेक करे, चतुविध संघ को दानादि देवे ।
कथा
इस व्रत की कथा में राजा श्रगिक और रानी चेलना की कथा पढ़ े । कीर्तिधर व्रत कथा
बैशाख शुक्ल अष्टमी के दिन शुद्ध होकर जिनमन्दिरजी में जावे, प्रदक्षिणापूर्वक नमस्कार करें, सुपार्श्वनाथ प्रभू की मूर्ति यक्षयक्षि सहित स्थापित कर पंचामृताभिषेक करे, अष्टद्रव्य से पूजा करे, श्रुत व गुरु की पूजा करे, यक्षयक्षि की व क्षेत्रपाल की पूजा करे ।
ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं श्रहं सुपार्श्वनाथ तीर्थंकराय नंदिविजययक्ष कालियक्षि सहिताय नमः स्वाहा ।