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व्रत कथा कोष .
कथा
पहले सिंहपुर नगरो में सिंहसेन राजा सिंहनन्दा पटरानी के साथ रहते थे। उसका पुत्र सिंहदर, उसकी स्त्री सिंहमाला, सिंहविजय मन्त्री, उसकी स्त्री सिंहगमिनी, सिंहकीति पुरोहित, उसकी स्त्री सिंहसुन्दरी, सिंहदत श्रेष्ठी, उसकी स्त्री सिंहदता, सिंहवज्रादि पूरा परिवार सुख से रहता था।
एक बार उन्होंने सिंहसागर मुनि से व्रत लिया, उसका विधिपूर्वक पालन किया । सर्वसुखों को प्राप्त करके अनुक्रम से मोक्ष गये ।
अनंतदर्शन व्रत कथा व्रत विधि :- पहले के समान सब विधि करे । अन्तर सिर्फ इतना है कि ज्येष्ठ शुक्ल ६ को एकाशन करे, १० को उपवास करें। पूजा आदि पहले के समान करे । णमोकार मन्त्र का एक बार जाप करें। एक दम्पति को भोजन करावे ।
कथा
काशो देश में पहले वज्रसेन राजा राज्य करता था । वह बड़ा पराक्रमी व गुणवान था । उसको कुसुमावती नामकी एक सुन्दर गुणवती स्त्री थी । उसको वज्रदंत नामका एक पुत्र व सुमति नामक स्त्री थी। उसके पास सुबुद्धि नामक मन्त्री था। उसी प्रकार चन्द्रशेखर नामक पुरोहित व चंद्राननी नामक स्त्री थी। और धनपाल नामक राज श्रेष्ठी व धनवति सेठानी थी। इस प्रकार अपने पूरे परिवार के साथ राजा सुख से रहता था।
____एक दिन उस नगर के बाहर उद्यान में श्रीधराचार्य अपने संघ सहित आये, जब राजा ने समाचार सुने तो वे अपने परिवार सहित महाराज के दर्शन को गये । वहां पर महाराज को तीन प्रदक्षिणा दे करके, वन्दना करके सब बैठे। धर्मोपदेश सुनने के बाद राजा ने विनयपूर्वक दोनों हाथ जोड़कर कहा, हे दीनोद्धारक गुरुवर्य ! आज आप हमें सद्गति को देने वाला ऐसा कोई व्रत विधान बतावें । महाराज ने कहा हे भव्य शिरोमणी राजेन्द्र ! तुम्हें अनंतदर्शन नामक व्रत करना चाहिये । ऐसा कह कर सब विधि बतायो, वे सब उस विधि को सुनकर खुश हुए । उन सब ने यह