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व्रत कथा कोष
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कथा
नित्यावलोक नगरी में नित्यानन्द राजा नित्यसुखी महारानी के साथ रहता था, उसका पुत्र नित्यनिरंजन, उसकी स्त्री नित्याचारमती, मन्त्री, उसकी स्त्री नित्यावलोकिनी, नीति कीर्ति पुरोहित, उसकी स्त्री नोतिसेना पूरा परिवार सुख से रहता था। एक बार उन्होंने नीतिसागर मुनि से व्रत लिया, उसका यथाविधि पालन किया । सर्वसुखों को प्राप्त किया । अनुक्रम से मोक्ष गये ।
अनिवृत्तिकररणगुणस्थान व्रत कथा व्रत विधि :--पहले के समान सब विधि करे, अन्तर केवल इतना है कि प्राषाढ़ शुक्ला ६ के दिन एकाशन करे । ७ के दिन उपवास करे । पूजा आदि पहले के समान करे । ६ दम्पतियों को भोजन करावे । वस्त्र आदि दान करे।
। कथा
पहले नित्यावलोक नगरी में नित्यानन्द राजा नीतिवती महारानी के साथ रहता था। उसका पुत्र नीति निपुण, उसकी स्त्री निर्मलासून और नीतिबंत मंत्री, उसकी स्त्री नीतिचतुरी/नीतिचारु, पुरोहित, उसकी स्त्री नोतिपालिनी, नीतिजय सेनापति, उसकी स्त्री नीतिसुदंरी और नीतिकीति पुरोहित उसकी स्त्री नीतिसेना पूरा परिवार सुख से रहता था।
एक बार उन्होंने नीतिसागर मुनि से अनिवृत्तिकरण गुणस्थान व्रत लिया, इसका यथाविधि पालन किया । सर्वसुखों को प्राप्त किया। अनुक्रम से मोक्ष गए।
अविरतगुणस्थान व्रत कथा व्रत विधि :--पहले के समान सब विधि करें । अन्तर केवल इतना है कि ज्येष्ठ शुक्ला १ के दिने ऐकाशन करें, २ के दिन उपवास करें । पूजा आदि पहले के समान करे, चार दम्पतियों को भोजन करावें, वस्त्र प्रादि दान करे, आहार दान प्रादि दें।