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व्रत कथा कोष
पहले करने की नौबत नहीं आती है । हां, कभी कभी समग्र तिथि का अभाव होने पर एक दिन पहले व्रत करने की स्थिति उत्पन्न होती है, अन्यथा नहीं ।
प्रोषधोपवास के लिए तो प्राचार्य ने छह घड़ी प्रमाण तिथि बतलायी है। तथा दैवासिक एवं नैशिक व्रतों के लिए भी छह घड़ी प्रमाण उदय और अस्तकालीन तिथियां ग्रहण की गई हैं, परंतु एकाशन के लिए तिथि कैसे ग्रहण करनी चाहिये और एकाशन करने वाले श्रावक को कब एकाशन करना चाहिये, इसके लिये क्या नियम बताया है ?
___ एकाशन के लिए तिथि-विचार ज्योतिषशास्त्र में एकाशन के लिए बताया गया है कि 'मध्यान्हव्यापिनी ग्राह्या एकभक्ते सदा तिथि:'-अर्थात् दोपहर में रहने वाली तिथि एकाशन के लिए ग्रहण करना चाहिये।
एकाशन दोपहर में किया जाता है। जो एकभुक्ति-एक बार भोजन करने का नियम लेते हैं, उन्हें दोपहर में रहने वाली तिथि का ग्रहण करना चाहिये । एकाशन करने के सम्बन्ध में कुछ विवाद है कुछ प्राचार्य एकाशन दिन में कभी भी कर लेने पर जोर देते हैं और कुछ दोपहर के उपरान्त करने का आदेश देते हैं ।
___ ज्योतिषशास्त्र में एकाशन का समय निश्चित करते हुये बताया है कि 'दिना र्धसमयेऽतोते भुज्यते नियमेन यत्' अर्थात् दोपहर के उपरान्त ही भोजन करना चाहिये । यहां दोपहर के उपरान्त का अर्थ अपरान्हकाल का पूर्व-उत्तर भाग नहीं किन्तु अपरान्ह काल का पूर्व भाग लिया जायेगा।
जो लोग दश बजे एकाशन करने की सम्मति देते हैं, वे भी ज्योतिषशास्त्र को अनभिज्ञता के कारण हो ऐसा करते हैं । आजकल के समय के अनुसार एकाशन एक बजे और दो बजे के बीच में कर लेना चाहिये । दो बजे के उपरान्त एकाशन करना शास्त्र विरुद्ध है।
। एकाशन के लिये तिथि का निर्णय इस प्रकार करना चाहिये कि विनमान में पांच का भाग देकर तीन से गुणा करने पर जो गुणनफल आवे, उतने घट्यादि मान के तुल्य एकाशन की तिथि का प्रमाण होने पर एकाशन करना चाहिये ।