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३-कापोत लेश्या
कबूतर के गले के समान वर्ण वाले और कच्चे आम से अनंतगुण कषैले पुद्गलों के सम्बन्ध से आत्मा में जो परिणाम होता है, वह कापोतलेश्या है। ४-तेजो लेश्या
हिंगुल के समान रक्त वर्ण वाले और पके रस के आम से अनंतगुण मधुर पद्गलों के संयोग से आत्मा में जो परिणाम होता है, वह तेजो लेश्या है । ५-पद्म लेश्या . हल्दी के सामान पीले वर्ण वाले तथा मधु से अनंत गुण मिष्ट पुद्गलों के संयोग से आत्मा का जो परिणाम होता है वह पद्म लेश्या है।
६-शुक्ल लेश्या
शंख के समान श्वेत वर्ण वाले और मिसरी से अनंत गुण मीठे पुद्गलों के सम्बन्ध से आत्मा का जो परिणाम होता है, वह शुक्ल लेश्या है।
इन लेश्याओं के लक्षण इस प्रकार है
१-मानसिक, वाचिक एवं कायिक क्रियाओं में असंयम रखना, बिना सोचेसमझे काम करना, क्रूर ब्यवहार करना आदि कृष्ण लेश्या के परिणाम है।
२-कपट करना, निर्लज्ज होना, स्वाद-लोलूप होना, पौगलिक सुखों की खोज करना आदि नील लेश्या के परिणाम है।
३-कार्य करने एवं बोलने में वक्रता रखना, दूसरों को कष्ट करने वाली भाषा बोलना आदि कापोत लेश्या के परिणाम है।
४–ममत्व से दूर रहना, धर्म पर रूचि रखना आदि तेजोलेश्या के परिणाम हैं।
५-क्रोध न करना, मितभाषी होना, इन्द्रिय-विजय करना आदि पद्मलेश्या के परिणाम है।
६-रागद्वेष रहित होना, आत्मलीन होना आदि शुक्ललेश्या के परिणाम हैं।
इन छः लेश्याओं में प्रथम तीन अधर्म लेश्याए हैं और अन्तिम तीन धर्म लेश्याएं हैं । उदाहरण के द्वारा उनके तारतम्य भाव को समझाया गया है।
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