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प्रद्योतिका टीका प्र. ३ उ. ३ खू.६१ सुधर्मासभायाः वर्णनम्
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संपरिक्षिप्ताः व्याप्ताः (अदत्तप्रायोऽवकाशाः) 'ते णं तिलया जाव नंदिरुक्खा' ते खलु तिलकलवंगादि नन्दिवृक्षान्ता वृक्षाः, 'मूलतो कंदवतो जाव सुरम्मी' -
मूलवन्तः कन्दवन्तः स्कन्धवन्तः शाखा प्रवालपत्रपुष्पफलवन्तः अतएव - सुरम्याः 'ते णं तिलया जाव नंदिरुक्खा' ते खलु तिलका:या वत् - नन्दिवृक्षाः (अत्र यावत्पदेन लवंग छत्रोपगशिरीष सप्तपर्णादि राजवृक्षान्तानां संग्रहः कार्यः ) 'अन्नेहिं - वहिं उमलयाहि जाव सामलयाहिं' अन्याभिः पद्मलताभिर्नागनाभिरशोकलताभि चम्पकलताभि चूतलताभि र्वनलताभि र्वासन्तिकलताभि र्विमुक्तकताभिः कुन्दलताभिः श्यामलताभिः - ' सव्वतो समता संपरिविखत्ता' सर्वतः सर्वदिक्षु समन्तः सकलप्रदेशेषु यथा स्थानं परिवेष्टिता: । 'ताओ णं पउमलयाओ जाव सामलयाओ' ताःखलु पद्मलताः अशोकलताः चम्पकलताः चूतलताः ' चनलताः से और नन्दिवृक्षों से 'सव्वओ समता संपरिक्खित्ता' चारों ओर से घिरे हुए है । 'तेणं तिलया जाय नंदिरुक्खा' ये सब तिलकवृक्ष से लेकर वृक्ष तक जितने वृक्ष है सब 'मूलवंतो कंदवतो' प्रशस्त मूलवाले और प्रशस्त कन्दवाले है । 'यावत् सुरम्मा' यावत् सुरम्य हैं। यहां यावत्पद से स्कन्धवन्तः' शाखा प्रशाखावन्तः प्रवालवन्तः पत्र पुष्प फलवन्तः ' इन पदों का संग्रह हुआ है । 'तेणं तिलया जाव नंदिरुक्खा' ये सब तिलकवृक्ष से लेकर यावत् नन्दिवृक्ष तक के जितने भी वृक्ष है वे सब 'अन्नेहिं बहुहिं पउमलयाहिं जाव सामलयाहिं सव्वओ समंता संपरिक्खित्ता' अन्य और अनेक पद्मलताओं से यावत् श्यामलताओं से चारों ओर से घिरे हुए हैं। यहां यावत् शब्द से नागलताओं का अशोक लताओं का चम्पकलताओं का, विमुक्त लताओं का और कुन्दलताओं का ग्रहण हुआ है 'ताओ णं पउमलयाओ जाव सामल
नही वृक्षोथी 'सव्वओ समता संपरिक्खित्ता' यारे मान्लुथी घेरायेला छे. 'तेणं तिलया जाव नंदिरुक्खा' तिस वृक्षथी बहने नहीवृक्ष सुधीना से मघां वृक्षो 'मूलवंतो कंदवतो' प्रशस्त भूगवाणा भने प्रशस्त हवाणा छे. यावत् 'सुरम्मा' सुरभ्य छे. अहींयां यावत्पथी 'स्कन्धवन्तः शाखा प्रशाख । वन्तः प्रवालवन्तः पत्रपुष्पफलवन्तः' मा पहोना संग्रह थयेस छे. 'तेणं तिलया जाव नंदिरुक्खा ' तिस वृक्षथी सर्धने यावत् नहिवृक्ष सुधिना नेटसा वृक्ष छे, ते मधा 'अन्नेहि बहुहिं परमलयाहिं जाव सामलयाहिं सञ्चओ समता संपरिक्खित्ता' गीक भने પદ્મલતાઓથી યાવત્ શ્યામલતાઓથી ચારે બાજુથી ઘેરાયેલા છે, અહીં ચાવત્ શબ્દથી નાગલતાએ અશાકલતાએ ચંપકલતાએ વિમુકતલતાએ અને કુલતાઓ थ थयेस छे. 'ताओ णं पउमलयाओ जाव सामलगाओ' मा मधी पद्मझताओ,