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प्रमेयद्योतिका टीका प्र.९ सू.१६९ दशविध सं० स० जीवनिरूपणम् १३३५ उद्धृत्यैकेन्द्रियभवप्रथमसमये वर्तमानास्ते स्तोका एव पञ्चन्द्रियारतु-अप्रथमसमयवर्तिनश्चिरकालावस्थितया गतिचतुष्टयेऽतिप्रभूताः ततोऽसंख्येयगुणाः । 'अपढमसमय चउरिदिया विसेसाहिया' ततोऽप्रथमसमयचतुरिन्द्रिया विशेषाधिकाः यतोऽप्रथमसमय द्वीन्द्रिया विशेषाधिकाः। ततश्च-'अपढयसमय एगिदिया 'अणंतगुणा' तेभ्यः अप्रथमसमयैकेन्द्रिया अनन्तगुणाः वनस्पतीनामनन्तत्वात् इति ।
उपसंहारः-'से तं दसविहा संसारसमावन्नगा जीवा पन्नत्ता' त एते समयवर्ती जो पंचेन्द्रिय जीव है वे असंख्यातगुणं अधिक हैं । अप्रथम समयवर्ती एकेन्द्रिय जीव दीन्द्रियादिकों से निकल कर एकेन्द्रियभव के प्रथम समय में जो वर्तमान होते हैं वे कम ही हैं परन्तु अप्रथम समयवर्ती जो पंचेन्द्रिय जीव हैं वे चिरकालावस्थायी होने से चारों गतियों में बहुत अधिक होते हैं । इसलिये इन्हें असंख्यातंगुणें अधिक कहा गया है 'अपढमसमय चारिदिया विसेसाहिया' इनकी अपेक्षा जो अप्रथम समयवर्ती चौइन्द्रिय जीव हैं वे विशेषाधिक है। इनकी अपेक्षा अप्रथम समयवर्ती जो तेइन्द्रिय जीव हैं वे विशेषाधिक हैं। • इनकी अपेक्षा जो 'अपढम समय तेइंदिया विसेसाहिया' अप्रथम समयवर्ती तेइन्द्रिय जीव हैं वे विशेषाधिक हैं । इनकी अपेक्षा जो अप्रथम समयवर्ती बीन्द्रिय जीव हैं वे विशेषाधिक हैं। इनकी अपेक्षा 'अपहम समय एगिदिया अर्णतगुणा' जो अप्रथम समयवर्ती एकेन्द्रिय जीव हैं वे अनन्तगुणे अधिक हैं। क्योंकि वनस्पतिकायिक अनन्त ज्जगुणा' मप्रथम समयवती २ पश्यन्द्रिय ०१ छ, तमाम यात વધારે છે. અપ્રથમ સમયવતી એક ઈદ્રિયવાળા જીવો કીન્દ્રિય વિગેરે જીવોમાંથી નીકળીને એકેન્દ્રિય ભવના પ્રથમ સમયમાં જે વર્તમાન હોય છે. તેઓ ઓછાજ છે. પરંતુ અપ્રથમ સમયવતી જે પંચેન્દ્રિય જીવો છે, તેઓ ચિરકાળ પર્યન્ત રહેવાવાળા હોવાથી ચારે ગતિમાં ઘણું વધારે હોય છે. તેથી तेमान २मसभ्यात! qधारे ४उवामां आवे छे. 'अपढमसमयचउरि दिया विसेसाहिया' तेना ४२di प्रथम समयक्ती या२ द्रियाणा वा. તેઓ વિશેષાધિક છે. તેના કરતાં અપ્રથમ સમયવતી જે તે ઈદ્રિય જીવ છે तया विशेषाधि छे. तेना ४२ रे 'अपढमसमय तेइंदिया बिसेसाहिया' म પ્રથમ સમયવતી જે તે ઈદ્રિય જીવે છે તે વિશેષાધિક છે. તેના કરતાં આ प्रथम समयवती दीन्द्रय ७१ ते विशेषाधित छ. तना ४२ai 'अपढम समय एगिदिया अणतगुणा' मप्रथम समयवती रेमेन्द्रिय ०१. तम्या