Book Title: Jivajivabhigamsutra Part 03
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 1567
________________ प्रमेयद्योतिका टीका प्र.१० सू.१५४ जीवानां दविधत्वनिरूपणम् १५४३ दियाणं पंचिंदियाणं अणिदियाण य कयरेकयरेहिंतो अप्पा वा-बहुया वा-तुल्ला वा विसेसाहिया वा' ? एतेषां खलु भदन्त ! पृथिवीकायिकादीनां दशानामपि कतरेकतरेभ्योऽल्पाः ? भगवानाह-'गोयमा ! सव्वत्थोवा पंचिंदिया' गौतम ! सर्वस्तोकाः पञ्चेन्द्रियाः 'चउरिदिया विसेसाहिया-तेइंदिया विसेसाहिया बेईदिया विसेसाहिया' पूर्वतश्चतुरिन्द्रियास्ततस्त्रीन्द्रियास्ततो द्वीन्द्रियाः क्रमगत्या विशेषाधिकाः सर्वे ज्ञेयाः । 'तेउकाइया असंखेजगुणा' ततस्तेजस्कायिका असंख्येयगुणाधिकाः 'पुढवीकाइया विसेसाहिया आउकाइया विसेसाहिया वाउकाअप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा' हे भदन्त ! इन पृथिवीकायिकों के, अप्कायिकों के, तैजस्कायिक के, वायुकायिकों के दोइन्द्रियों के, तेइन्द्रियों के, चौइन्द्रियों के, पञ्चेन्द्रियों के और अनिन्द्रियों के बीच में कौन जीव किन जीवों की अपेक्षा अल्प हैं ? कौन जीव किन जीवों की अपेक्षा बहुत हैं कौन जीव किन जीवों के बराबर हैं ? कौन जीव किन जीवों से विशेषाधिक हैं । इसके उत्तर में प्रभु कहते हैं-'गोयमा ! हे गौतम ! इन दश जीवों के बीच में 'सव्वत्थोवा पंचिंदिया' पञ्चेन्द्रिय जीव सब से कम हैं इनकी अपेक्षा 'चरिंदिया विसेसाहिया' चौइन्द्रिय जीव विशेषाधिक हैं । इनकी अपेक्षा 'तेइंदिया विसेसाहिया' तेइन्द्रिय जीव विशेषाधिक हैं । इनकी अपेक्षा 'वेइंदिया विसेसाहिया' दोइन्द्रिय जीव विशेषाधिक हैं । इनकी अपेक्षा 'तेउकाइया असंखेज्जगुणा' तैजस्कायिक जीव असंख्यातगुणें अधिक हैं। इनकी अपेक्षा 'पुढवीकाइया विसेसाहिया' पृथिवीकायिक जीव विशेषाधिक हैं । इनकी अपेक्षा 'आउकाइया विसेसाहिया' अप्काતેજસ્કાચિકે વાયુકાચિકે, બે ઈદ્રિય, તે ઈદ્રિય , ચૌ ઈદ્રિય છે પંચેન્દ્રિય છે, અને અનિન્દ્રિય જીવોમાં કયા છો કયા છના કરતાં અલ્પ છે? કયા છે જીવેના કરતાં વધારે છે. કયા છો કયા જીવોની બરાબર છે? અને ક્યા જ કયાજના કરતાં વિશેષાધિક છે? આ પ્રશ્નના ઉત્તરમાં प्रभुश्री हे छ -'गोयमा ! 3 गौतम! 20 स वामां 'सव्वत्योवा पंचिं दिया' पयन्द्रिय व सौथी १६५ छ. तेन। ४२di 'चउरिदियो विसेसाहिया' यार छद्रियाणा विशेषाधि छ. तन। ४२di 'तेइंदिया विसेसाहिया' त्रए पद्रिय. पाणाला विशेषाधि छे. तेन। ४२तां वेइंदिया विसेसाहिया' में द्रिय विशेषा (ध छे. तेना ४२di 'तेउकाइया असंखेज्जगुणा' ते थि : 04 असण्यात गए। पधारे छ. तेन। ४२di ‘पुढवीकाइया विसेसाहिया पृथ्वीजयि४ प विशेषाधि छ, तेना ४२di 'आउकाइया विसेसाहिया' ५५४ायि४ २५ विशेषाधि छे. तेना

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