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जीवाभिगमन परियट्ट देसूर्ण' सम्यामिथ्यादृष्टेः खलु भदन्त ! गौतम ! जान्येनान्तर्मुहूर्तम् उत्कर्पतोऽनन्तं कालं यावद् देशोनाऽपार्धपुद्गलपरावर्त ततो मुक्तिः । 'अप्पावहुयं०' एतेषां खलु कतरे कतरेभ्योऽल्पाः० ? गौतम ! 'सव्वत्थोवा सम्मामिच्छादिट्ठी-सम्मदिट्ठी अणंतगुणा-मिच्छादिट्ठी अणंतगुणा' सर्वस्तोकाः सम्यग्मिथ्यादृष्टयः १ सम्यग्दृष्टयो-मिथ्यादृष्टयश्चाऽनन्तगुणाः सम्यग्मिथ्याहष्टयपेक्षयाऽनयोरानन्त्यात् इति । 'अहवा-तिविहा सव्वजीवा पन्नत्ता तं जहागया है 'सम्मामिच्छादिहिस्स जहन्नेणं अंतोमुहुन्तं उक्कोसेणं अणतं कालं जाव अवझे पोग्गलपरियह देसूर्ण' सम्परमिशदृष्टि जीव का अन्तर जघन्य से एक अन्तर्मुहूर्त को है और उत्कृष्टसे अनन्तकाल का है यावत् कुछ कम अर्धपुद्गल परावर्त का है जव सम्यमिध्यादर्शन से पतित होने के बाद जीव पुनः एक अन्तर्मुहूर्त ठहरकर पुन: सम्यग् मिथ्यादर्शन प्राप्त कर लेता है उस अपेक्षा यह जघन्य अन्तर इसको कहा गया है तथा उत्कृष्ट अन्तर के बाद नियम से जीव की मुक्ति हो जाती है।
इनके अल्पबहुत्व को विचार___'अप्पा बहुयं इनमें 'सव्वत्थोवा सम्मामिच्छादिट्टी' सब से कम सम्यग्मिथ्यादृष्टि जीव है 'सम्मदिही अणंतगुणा' इनको अपेक्षा सम्यग्दृष्टि जीव अनन्तगुणे अधिक है । मिच्छादिट्टी अणतगुणा' और इनकीअपेक्षा मिथ्यादृष्टि जीव अनन्तगुणें अधिक हैं। सम्यग्दृष्टियों को जो अनन्तगुणा कहा गया है वह सिद्धों की अपेक्षा से कहा गया है अंतोमुहुत्तं उन्कोसेणं अणंत काळ जाव अबढ पोग्गलपरियट देसणं' सभ्यम् મિથ્યાષ્ટિ જીવનું અંતર જઘન્યથી એક અંતમુહૂર્તનું છે અને ઉત્કૃષ્ટથી અનંતકાળનું અંતર છે. યાવત્ કંઈક ઓછું અર્ધ પુદ્ગલ પરાવર્તનું હોય છે. જ્યારે સમ્યફમિથ્યાદશનથી પતિત થયા પછી જીવ ફરીથી એક અંતહૂર્ત પર્યન્ત રહીને ફરીને સમ્યમિાદર્શન પ્રાપ્ત કરી લે છે. એ અપેક્ષાથી આ જઘન્ય. અંતર કહેવામાં આવેલ છે. તથા ઉત્કૃષ્ટ અંતર પછી નિયમથી જીવની મુક્તિ થઈ જાય છે.
व तमना २८५ माता पियार ४२वाभा मावे छे. 'अप्पा बहुयं' तभा 'सव्वत्योवा सम्मामिच्छादिट्ठी' सौथी । सभ्य भिथ्याट ७५ छ 'सम्मादिट्ठी अणंतगुणा' मन तना ४२di सभ्यष्टि नत धारे छ. 'मिच्छादिट्ठी अणतगुणा' मन तेना ४२di भिथ्यष्टि ५ मनातगा। વધારે છે, સમ્યફ દષ્ટિને જે અનંતગણું કહ્યા છે. તે સિદ્ધોની અપેક્ષાથી