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प्रमेयधोतिका टीका प्र.३ उ.३ सू. ८६ लवणसमुद्रवर्णनम्
५०७ जाव विहरई' स खलु वनपण्डो देशोने द्वे योजने विष्कम्भेण पद्मवरवेदिकया तुल्यः कृष्णः कृष्णावभासः, अत्र तृणमणिस्पर्शनं यावद्वर्णनम् वानव्यन्तरादयः कृत भूरिपुण्यकर्माणः स्वकृतसुकृतिफलमनुभवन्तो विहरन्ति । सम्प्रति द्वारवक्तव्यतामभिधित्मुराह-'लवणस्त णं भंते ! समुदस्स कइ दारा पन्नत्ता' हे भदन्त ! लवणसमुद्रस्य कियन्ति द्वाराणि प्रज्ञप्तानि ? भगवानाह-'गोयमा' हे गौतम ! 'चत्तारि दारा पन्नता तं जहा विजए वेजयंते जयंते अपराजिए' चत्वारि द्वाराणि प्रज्ञप्तानि, तद्यथा-विजय-वैजयंत-जयन्ताऽपराजितानि पूर्वादिषु द्वाराणि कथितानि । 'कहिणं भंते ! लंबणसमुदस्स विजए णामं दारे पन्नत्ते' हे भदन्त ! लवणोदधेः कुत्रस्थाने विजयद्वारं प्रस्तुतम् ? भगवान् वेदिका है 'से णं वणसंडे देसूणाई दो जोयणाई जाव विहरई' लवणसमुद्र का वनपण्ड कुछ कम दो योजन का चौडा है इसका वर्णन जम्बूबीप की पद्मवर वेदिका के वनखण्ड जैसा है यह वनषण्ड कृष्ण आदि विशेषणों वाला है यहां तृण और मणियों कास्पर्शान्त कथन जैसा पहिले प्रकट किया गया है वैसा ही है ऐसे वानव्यन्तर देव यहां अपने पुण्य कर्म के फल को भोगते हुए सुख से रहते हैं 'लवणस्स णं भंते ! समुदस्स कइ दारा पण्णत्ता' हे भदन्त ! लवण समुद्र के कितने द्वार कहे गये हैं 'गोयमा! चत्तारि दारा पण्णत्ता' हे गौतम ! लवणसमुद्र के चार बार कहे गये हैं 'तं जहा' जो इस प्रकार से है 'विजए, वेजयेय, जयंते, अपराजिते विजय, वैजयन्त, जयन्त और अपराजित ये द्वार पूर्व आदि दिशाओं में हैं । यही बात अव प्रश्नोत्तर द्वारा प्रकट की जाती है-'कहिणं भंते ! लवणसमुदस्सं विजए णामं दारे पण्णत्ते' हे भदन्त ! लवणसमुद्र का विजयद्वार कहां पर है 'गोयमा ! लवणछ मे १ प्रभानी मा ५५५२३६। छ. 'से णं वणसंडे देसूणाई दो जोयणाई नाव, विहरह' सपासमुद्रनु न ४४४ ४म में योगन पडणुछ. तेनु વર્ણન જંબુદ્વીપની પવરવેદિકાના વનખંડના વર્ણન પ્રમાણે છે. આ વનખંડ કૃષ્ણ વિગેરે વિશેપવાળું છે, તૃણ અને મણિ સંબંધી કથન જેમ પહેલાં કહેલ છે એ જ પ્રમાણે છે. અહિયાં વાવ્યતર વિગેરે દેવ પિતાના પુણ્ય४भना गाने लगता 41 सुमथी २९ छ. 'लवणस्स णं भंते '! समुदस्स कइ दारा पण्णत्ता लगवन् ! सपशुसभुद्रनामा वा हा छ ? 'गोयमा ! चत्वारि दारा पण्णत्ता' गौतम ! समुद्रना यार बारे। ४ा छ. 'तं जहा' २ मा प्रभारी छ-'विजए वेजयते जयंते अपराजिते' 'विन्य, वैश्यन्त, જયન્ત, અને અપરાજીત આ દ્વારે પૂર્વ વિગેરે દિશાઓમાં છે, એ જ વાત