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प्रमैयद्योतिका टीका प्र.५ सू.१३३ वादरादीनामल्पवहुत्वनिरूपणम् १२४५ वायरा पज्जत्ता बायरा अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा' सर्वभ्योऽल्पा बादराः अपर्याप्तकाः वादरा अपर्याप्तका ये ते तु असंख्येयगुणाः। 'सम्वत्थोवा सुहुमा अपनत्ता' सर्वस्तोकाः सूक्ष्मा अपर्याप्तकाः । 'सुहमा पज्जत्ता संखेज्जगुणा' सूक्ष्म पर्याप्तका अपर्याप्तकापेक्षया संख्येयगुणाः। एवं सुहुमपुढवी वायरपुढवी जाव मुहुम निओया वायरनिओया' एवं सर्वस्तोकाः सूक्ष्मपृथिवीकायाः बादरपृथिवीकायांस्तु-संख्येयगुणाः अधिकाः । एवमप्कायिकाः वायुकायिकाः निगोदाश्च सूक्ष्माः स्तोकाः वादराः संख्येयगुणा अधिकाः। 'नवरं पत्तेयसरीर वायरयादर पर्याप्त और बादर अपर्याप्त इनके बीच में कौन किनकी अपेक्षा अल्प हैं ? कौन किनकी अपेक्षा बहुत हैं ? कौन किनके बराबर हैं ? और कौन किनकी अपेक्षा विशेषाधिक है ? इसके उत्तर में प्रभु कहते हैं-'सव्वत्थोवा बायरा पज्जत्ता' हे गौतम ! सब से कम चादर पर्याप्त जीव हैं क्योंकि ये परिमित क्षेत्रवर्ती हैं। इनकी अपेक्षा 'बायरा अपजत्ता असंखेज्जगुणा' बादर अपर्याप्त जीव असंख्यातगुणे अधिक हैं । क्योंकि एक एक बोदर पर्याप्त जीवों की निश्रा से असंख्यातं बादर अपर्याप्त जीवों का उत्पाद होता है । 'सब्वत्थोवा सुहमा अपज्जत्ता सुहम प० संखेज्जगुणा' सूक्ष्म अपर्याप्त सब से कम हैं। इनकी अपेक्षा सूक्ष्म पर्याप्तक संख्यात गुणें अधिक हैं। 'एवं जहा सुहुम पुढवी बायर पुढवी' सूक्ष्म पृथिवीकायिक सब से स्तोक है बादर पृथिवीकायिक संख्यातगुणें अधिक हैं 'एवं' इसी तरह से अप्कायिक में वायुकापिक में और निगोद में सूक्ष्म कम हैं और કે કેની બરાબર છે? અને કેણ કેનાથી વિશેષાધિક છે ? આ પ્રશ્નના उत्तरमा प्रभुश्री ४ छ है-'सव्वोयावा वायरा पज्जत्ता' गौतम ! सौथी ઓછા બાદર પર્યાપ્તક જીવ છે. કેમકે–તેઓ પરિમિત ક્ષેત્રમાં રહેવાવાળા છે तेना ४२di 'बायरा अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा' मा२ मर्याप्त અસંખ્યાતગણી વધારે છે. કેમકે-એક એક બાદર પર્યાપ્તક જીવોની नाथी मसयात मा४२ अपर्याप्त छ न पात थाय छे. 'सब्वत्थोवा सुहुमा अपज्जत्ता सुहुमा पज्जत्ता संखज्जगुणा' सूक्ष्म मर्यास्त सौथी मछ। छे. ते ४२i सूक्ष्म पर्याप्त समयात पधारे छे. एवं जान सुहुम पुढवी वायर पुढवी सूक्ष्म पृथ्वीय सीधी स. मार પૃથ્વીકાયિક સંખ્યાતગણું વધારે છે. “ર્વ” એજ પ્રમાણે અપ્લાચિકે, વાયુ કાચિકેમાં, અને નિગોદમાં સૂક્રમ સૌથી ઓછા છે અને બાદર સંખ્યાલગણા पधारे छे 'नयर पत्तयसरीरमायरवणम्सइकाइया विसेसादिया' ५२तु महीयां