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' जीवाभिगमसूत्र व्यवधानं भवति ? अन्यूनानि परिपूर्णानि योजनानां पंचाशत्सहस्राणि परस्पम्' चन्द्रस्य सूर्यस्य चान्तरम् ॥२७॥ प्रतिचन्द्रेण चन्द्रस्य सूर्यस्य रविणा सह । अन्तर वक्तु मिच्छावान् ग्रन्थकार उवाच यत् - .
'सूरस्रा य सूरस्स य ससिणों ससिणो य अन्तरं होइ, .
जोयणाणं सयसहस्सं वहिया ओ मणुस्स नगरस ।। सूर्यस्य सूर्यस्य पारस्परिकमन्तरं च चन्द्रस्य चन्द्रस्य परस्परमन्तरं भवति, लक्षयोजनम्, तथाहि-चन्द्रान्तरिताः सूर्याः सूर्यान्तरिताश्चन्द्रा बहिर्व्यवस्थिताः। एतच्चाऽन्तरं सूचीश्रेण्या, न तु वलयाकारश्रेण्या ज्ञातव्यं मवेत् ॥२८॥ मानुषोंपचास हजार योजन का है यह अन्तर चन्द्र से सूर्य का और सूर्य से चन्द्र का है। यह तो पहिले कहा ही जा चुका है कि मनुष्यक्षेत्र से, बाहर चन्द्र और सूर्य आदि ज्योतिष विमान अवस्थित हैं इसलिये मनुष्यक्षेत्र में जैसा इनका योग नक्षत्रों के साथ होता है वैसा वहां नहीं होता है वहां चन्द्र अभिजित् नक्षत्र के साथ सदैव युक्त रहता है, और सूर्य पुष्य नक्षत्र के साथ सदा युक्त रहता है।
'स्वरस्स य सूरस्सय ससिणो ससिणो य,अंतर होइ,
जोयणाणं सयसहस्सं वहियाओ म[स्स-नगरस' मनुष्यलोक से बाहर चन्द्र का चन्द्र से अन्तर और सूर्य का सूर्य से अन्तर एक लाख योजन का है। चन्द्र से अन्तरित सूर्य और सूर्य से अन्तरित चन्द्र यहि व्यवस्थित हैं चन्द्र और सूर्य का अन्तर ५०००० योजन का प्रकट किया गया है इस तरह यह अन्तर इनका एक लाख योजन का हो जाता है। सूची श्रेणी की अपेक्षा હજાર એજનનું છે. આ અંતર ચંદ્રથી સૂર્યનું અને સૂર્યથી ચંદ્રનું છે. એ તે પહેલાં કહેવામાં આવી ગયું છે કે મનુષ્ય ક્ષેત્રની બહાર ચદ્ર અને સૂર્ય વિગેરે તિષ્ક વિમાન રહેલા છે. તેથી મનુષ્ય ક્ષેત્રમાં જે તેમને યોગ નક્ષત્રોની સાથે થાય છે, એ ત્યાં થતું નથી. ત્યાં ચંદ્ર અભિજીત નક્ષત્રની સાથે કાયમ રહે છે. અને સૂર્ય પુષ્ય નક્ષત્રની સાથે યુક્ત રહે છે.
सूरस्स य सूरस्सय ससिणो ससिणो य अंतर होइ । ___ जोयणाणं सय सहस्सं वाहियाओ मगुस्स नगस्स ॥ २८ ॥
મનુષ્ય લેકની બહાર ચંદ્રનું ચંદ્રથી અંતર અને સૂર્યનું સૂર્યથી અંતર એક લાખ એજનનું છે. ચંદ્રથી ઢંકાયેલ સૂર્ય અને સૂર્યથી ઢંકાયેલ ચંદ્ર ' બહાર વ્યવસ્થિત છે. ચંદ્ર અને સૂર્યનું અંતર ૫૦૦૦૦/ પચાસ હજાર એજનનું