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प्रमेयद्योतिका टीका प्र. ३ उ. ३ सू. ११४ चन्द्रविमानवाहकदेव संख्यादिनि० ६६१ गुडियपिंगलक्खाणं) थिरलट्ठ (पउड) वट्टपीवरसुसिलिडसुविसिद्धतिक्खदाढा बिर्डवितमुहाणं रतुप्पलपत्तमउयसुंकुमालतालुजीहाणं (पसत्थसत्थ वेरुलियभिसंत कक्कड - नंहाण) विसालपीवरोरुप डिपुण्णविउलखधाणं मिउविसयपसत्थमुडुम लक्खणविच्छिष्णकेसरसडोब सोभिताणं' हे गौतम ! चन्द्रादि विमानानि जंगतः स्वभावात् निरालम्बानि तथापि - कियन्तो विनोदिनोऽनेकरूपधराः अभियोगका देवा: सततंवहनशीलेषु विमानेषु अधः स्थित्वा परिवहन्ति कौतुहलत्, तत्र केचित् भाणं संखतलविमल निम्मलदधिघणगोखीरफेणरययणिगरप्पगासाणं (मंहगुलिय पिंगलक्खाणं) थिरलट्ठ (पउड) वट्टपीवरसु सिलिडसुविसिंहतिक्खदाढाविडंयितमुहाणं' ये सिंह श्वेत वर्ण के होते हैं, सुभग होते हैं तथा सान्द्रदधि का गोक्षीर के फेनों का और रजत का समूह जैसा तिल के समान विमल और निर्मल होता है एवं जैसा इसका प्रकाश होता है वैसा ही प्रकाश इन सिंहों का होता है इनकी आंखें मधु की गोली जैसी पीले वर्ण की होती है मुख इनका स्थिर और कान्तं ऐसे प्रकोष्ठों से युक्त एवं परस्पर में सटी हुई तीक्ष्ण दाढों से जो कि बहुत ही अधिक मजबूत होती हैं सहित होता है 'रत्तुंप्पलपतमय सुकुमालतालुजीहाणं पसंतसंतवेरूलियाभिसंतकक्कडन होणं इनकी जिहा एवं तालु लाल कमल के जैसे सुकुमार एवं चिकने होते हैं नख इनके कर्कश होते हैं और प्रशस्त वैडूर्यमणि के जैसे चमकीले होते हैं । 'विसालपीवरोरूपरिपुष्णविलखधाणं, मिडविसयपसत्थसुहुमलक्खणविच्छिण्णकेंसरसडोवसोभिताणं' इनकी दोनों जंघाएं
भाणं
संखतलविमलनिम्मलदधिघणगोखीरफेणरय यणिगरप्पासाणं (महुलिय पिंगलक्खाणं) थिरलट्ठ (पउट्ठ) घट्ट पीवरसुसिलिट्ठ तिक्खदाढाविडंबितर्मुहाणं' એ સિ ંહા સફેત રંગના હૈાય છે. સુભગ હૈાય છે. જામેલા દહીના, ગાયના દૂધના ફ્રીના, અને ચાંદીના સમૂહ, જેમ શખ તલના જેવા નિમ`ળ અને વિમલ હાય છે, અને તેના જેવા પ્રકાશ હાય છે એવાજ પ્રકાશ આ સિંહાના હાય છે. તેમની આંખા મધની ગોળી જેવી પીળા વણુની હાય છે. તેનુ મુખ સ્થિર અનેકાંત એવા પ્રકષ્ઠ વાળુ અને પરસ્પર જોડાયેલ તીણી એવી દાઢાથી કે જે ઘણીજ મજબૂત હાય છે. तेनाथी युक्त हाय छे. तुप्पल पत्तमङयसुकुमालतालुजीहाणं पसंतसंतरुलयाभिसंतकाकडनहाणं' तेभनी कुल भने तासु सास उभजना देवी सुङ्कुमारे અને ચિકણી હાય છે, તેઓના નખા કઠોર હાય છે. અને પ્રશસ્ત મણિયાના नेवा शुभमुहार हाय छे. 'विलासपीवरोरुपरिपुण्णवि उलखंधाणं, मिडविसय पसत्थसुंहुमलक्खणषिच्छिण्णकेसरसडोपसोभिताणं तेभनी मने भधायो विशाण
मी० १२२