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जीवाभिगमस्ये मेव । ‘से नूणं भंते ! सुभिसद्दापोग्गला दुभिसदत्ताए परिणमंति-दुन्भिसहा पोग्गला सुन्भिसत्ताए परिणमंलि ? हंता गोयमा ! मुभिसहा दुन्भिसदत्ताए। दुन्भिसहा सुन्भिसदत्ताए परिणमंति' अथ नूनं भदन्त ! एवं जानीयां शुभशब्दरूपाः पुद्गलाः अशुभशब्दतया० अशुभशब्दाश्च पुद्गलाः शुभशब्दतया परिणमन्ति ? हन्त गौतम ! एवमेव सुरभि । 'से नूनं भंते ! सुरूवा पोग्गला द्रव्यादि सामग्री की सहायता से क्या अशुभ रूप परिणाम को प्राप्त हो सकता है और जो अशुभरूप परिणाम से परिणमित हुआ है वही क्या शुभरूप परिणमित हो सकता है ? इसके उत्तर में प्रभु कहते हैं-'हंता, गोयमा ! उच्चावएतु सद्दपरिणामेसु परिणममाणा पोग्गला परिणमंतीति वत्तचंसिया' हां, गौतम ! जैसा तुमने पूछा है वैसा ही होता है-इस तरह उत्तम और अधमरूप से शब्द रूप परिणाम में परिणमें पुद्गल-भाषा वर्गणाएं उत्तम अवस्था से अधम अवस्था में और अधम अवस्था से उत्तम अवस्था में बदल जाते हैं 'से णूणं भते ! सुन्भि सदा पोग्गलादुन्भि सत्ताए परिणमंति दुन्भिसदा पोग्गला सुन्भि सत्ताए परिणमंति ? तो क्या हे भदन्त ! इस कथन के अनुसार सुरभि शब्दरूप पुदल दरभि शब्द रूप से पार णम जाते हैं और दुरभि शब्द रूप पुद्गल सुरभि शब्द रूप से पारणम जाते हैं ? हंता, गोयमा ! सुभिसदा दुन्भिसदत्ताए परिणमौत, दुन्भिसदा सुन्भिसत्ताए परिणमंति' हां, गौतम ! सुरभि शब्द પરિણામ દ્રવ્યાદિ સામગ્રીની સહાયતાથી શું અશભ પરિણામને પ્રાપ્ત થઈ શકે છે? અને જે અશુભ રૂપ પરિણામથી પરિમિત થયેલ હોય એજ શું શુભ રૂપ પરિણામથી પરિમિત થઈ શકે છે? આ પ્રશ્નના ઉત્તરમાં પ્રભુશ્રી ४९ छे है-'हंता गोयमा उच्चावएसु सहपरिणामेस परिणममाणा पोग्गला परिणमंतीति वत्तव्वं सिया' डा गौतम । म तमे पूछे छ, मे प्रमाण થાય છે. એ રીતે ઉત્તમ અને અધમ પણાથી શબ્દ રૂપ પરિણામમાં પરિણ મેલ પુદ્ગલ ભાષા વર્ગણ ઉત્તમ અવસ્થાથી અધમ અવસ્થામાં અને અધમ अवस्थाथी उत्तम अवस्थामा मसालय छे. 'से गुणं भंते ! सुभिसदा पोग्गला दुभिसदत्ताए परिणमति दुभि सदा पोग्गला सुन्भिसदत्ताए परिणमति' હે ભગવનું તે શું આ કથન અનુસાર સુરભિ શબ્દ રૂપ પુદ્ગલ દુરભિશબ્દ પણથી પરિણમી જાય છે? અને દુરભિ શબ્દ રૂપ પુદ્ગલ સુરભિશબ્દ પણાથી परिशुभी तय छ ? 'हंता ! गोयमा | सुभि सदा दुन्भिसदत्ताए परिणमंति दुन्भिसदा सुन्भिसद्दत्ताए परिणमंति' है। गौतम ! सुरलि शण्४ हुम २६