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प्रमेयद्योतिका टीका प्र.३ उ.३ सू.९६ कालोदसमुद्रनिरूपणम् दारा पन्नत्ता-गोयमा ! चत्तारि दारा पन्नत्ता-तं जहा-विजए वेजयंते जयंते अपराजिए' कालोदसमुद्रस्य खलु कतिद्वाराणि प्रज्ञप्तानि भदन्त ! भगवानाह-हे गौतम ! चत्वारि द्वाराणि विजय-वैजयन्त-जयन्ताऽपराजितानि प्रज्ञप्तानि । 'कहिणं भंते ! कालोदस्स समुदरस विजए णामं दारे पन्नत्ते' कुत्र स्थाने खलु भदन्त ! कालोदसमुद्रस्य विजयं नाम द्वारं प्रज्ञप्तमास्ते भगवानाह-गोयमा ! कालोदे समुद्दे पुरथिमपेरंते पुक्खरवरदीवपुरथिमद्धरस पच्चत्थिमेणं सीयोदाए महाणईए उप्पि विजए णामं दारे पन्नत्ते' हे गौतम ! कालोदसमुद्रे पूर्वान्तभागे पुष्कवरद्वीप पूर्वाद्धस्य पश्चिमायां महानदी शीतोदाया ऊर्ध्वम् कालोदसमुकालोदसमुद्र के कितने बार कहें गये हैं उत्तर में प्रभु कहते हैं-हे गौतम ! 'चत्तारि दारा पन्नत्ता' कालोदसमुद्र के चार द्वार कहे गये हैं 'तं जहा' जिनके नाम इस प्रकार से हैं-'विजए, वेजयंते, जयंते, अपराजिए' विजय वैजयन्त जयन्त और अपराजित 'कहि णं भंते ! कालोदस्स समुद्दरस विजये णामं दारे पण्णत्ते' हे भदन्त ! कालोदसमुद्र का विजयद्वार कहां पर कहा गया है 'गोयमा ! कालोदे समुद्दे पुरथिम पेरंते पुक्खरवर दीव पुरथिमद्धस्स पच्चत्थिमेणं सीतोदाए महाणदीए उप्पि एत्थ णं कालोदस्स समुदस्स विजए णामं दारे पण्णत्ते' हे गौतम ! कालोदसमुद्र के पूर्वान्त भाग में जो पुष्कर वरद्वीप है उसके पूर्वार्ध से पश्चिम में सीतोदा महानदी ऊपर कालोदसमुद्र का विजय द्वार है 'अहेव जोयणाई तं चेव पमाणं' यह आठ योजन का ऊंचा है इत्यादि रूप से इसके सम्बन्ध का कथन जम्बूद्वीप के विजयસમુદ્રના કેટલા દ્વારે કહેલા છે? આ પ્રશ્નના ઉત્તરમાં પ્રભુશ્રી કહે છે કે હે गौतम । 'चत्तारि दारा पण्णत्ता' ला समुद्रना यार वा। ४पामा मावेस छ. 'तं जहाना नामी २॥ प्रमाणे छ-'विजए, वेजयंते, जयंते, अपराजिए' विन्य; वैश्यन्त, स्यन्त भने २०५२ 'कहि णं भंते ! कालोदरस समुहस्स विजए णामं दारे पण्णत्ते' हे भगवन् ! state समुद्र विन्य नामनुवार यां मावेस छे. 'गोयमा ! कालोदे समुद्दे पुरथिमपेरते पुक्खरवर दीव पुरस्थिमद्धस्स पच्चत्थिमेणं सीतोदाए महाणदीप उप्पि एस्थ णं कालोदग्स समुदरस विजएणामं दारे पण्णत्ते' हे गौतम ! सह समुद्रना पूर्वान्त मागमा २ पु४२१२ दीप छे. તેના પૂર્વાર્ધથી પશ્ચિમમાં સીતાદા મહાનદીની ઉપર કાલોદ સમુદ્રનું વિજય नामदार छे. 'अटूठेव जोयणाई तं चेव पमाणं' से २मा योगननी या વાળું છે. વિગેરે રીતે તેના સબંધી કથન જંબુદ્વીપના વિજય દ્વારના કથન प्रमाणे सम . 'जाव रायहाणीओ' यावत् राधानी सुधीनु ४यन मही या