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- जीवाभिगमन श्रीवत्साः 'कणगमयाओ बाहाओ'-कनकमया वाहाः 'कणगमईओ पासाओ' कनकमयाः पार्थाः 'कनगमईओ गोवाओ' कनकमय्यो ग्रीवाः 'रिटामए मंसु "रिष्टरत्नमयं मांसम् 'सिलप्पवालमया ओढा' शिलाप्रवालमया ओठाः विद्रुमविनिर्मिता इतियावत्, 'फलिहामया दंता'-स्फटिकरत्नमयाः दन्ताः, 'तवणिज्जमईओ जीहाओ' तपनीयमया जिहाः 'तवणिजमया तालुया' तपनीयमयानि 'तालुकानि, 'कणगमईओ णासाओ' कनकमय्यो नासिकाः 'अंतो लोहितक्खपरिसेयाओ' अन्तर्मध्ये लोहिताक्षरत्नप्रतिपेकाः, 'अंकमयाई अच्छिणी अंतो लोहितक्ख परिसेयाई अन्तर्मध्यप्रदेशे लोहिताक्षरत्नप्रतिषेकाणि-अङ्करत्नमयानि-अक्षीणि, मयाभूचुका' तपे हुए सुवर्ण के इनके चूचुक हैं-स्तन के अग्रभाग है । 'तपनीयमयाः श्रीवत्सा' तप्त सुवर्ण के इनके श्रीवत्स हैं-छाती के ऊपर रहे हुए चिन्ह विशेष हैं । 'कगगमया वाहाओ कणगामइओ 'पासाओ' सुवर्णमय इनके वाह हैं सुवर्णमय इनके दोनों पार्श्वभाग हैं । 'कनकमय्यो ग्रीवा' सुवर्णमय इनकी ग्रीवाएं गर्दने हैं। 'रिष्टमयं'मांसम्' रिष्टमय इनका मांस है 'शिलाप्रवालमया ओष्ठा' इनके ओष्ठ'शिलाप्रवाल-मूंगा के हैं । 'स्फटिकमया दन्ता' इनके दांत स्फटिकमणि के बने हुए हैं। 'तपनीयमय्यो जिह्वा' इनकी जीभें तपनीय सुवर्ण की बनी हुइ हैं। 'तपनीयमयानि तालुकानि' तालुभाग इनका तपनीय स्वर्ण का बना हुआ है 'कनकमय्यो नासिका' इनको नासिकाएं सुवर्ण की बनी 'हुई है 'अन्तर्लोहिताक्षप्रतिषकाः' नाक के भीतर की रेखाएं लोहिताक्षरत्नकी बनी हुई हैं अङ्कमयानि अक्षीणि' अङ्करत्नकी इनकी आखेंशम (३८) २०७यो रिट Pानी छ. 'तपनीयमयाचूचुकाः तदा सोनाना तेनायियु?। छ. अर्थात स्तननी सयमा छ. 'तपनीयमया ! श्रीवत्साः' तपसा सोनाना तना श्रीवत्स छातीनी ५२ रस पिन्ड विशेष छ. 'कणगमया वाहाओ कणगामइओ पासाओ' सुवर्ण भय तेना माहु-डाया छ भने सुवर्ष भय तेना
५माया छ. 'कनकमय्यो ग्रीवा' तेनी श्रीवा- सुवर्णमय छे. 'रिष्टमय मांसम्' रिटमय तेनु मास छे. 'शिलाप्रवालमया ओष्टा, तेना 8 शिस अपार भूगाना छ. 'स्फटिकमया दन्ता' तेना होता टि मशिना मना छ. 'तपनीयमय्यो जिह्वा' तेनी तपनीय सोनानी भने छे. 'तनीयमयानि तालुकानि' तेना तालुन प्रदेश तपनीय सुवाणुना पनेस छ. 'कनकमय्या नासिका तेना ना। सोनाना मनेसा छे. 'अन्त लोहिताक्ष प्रतिपेका' नानी म४२नी रेभायो alsताक्ष २.ननी आने . 'अङ्कमयानि अक्षीणि' तनी मांगो म४ रत्ननी मनेस छ। 'अन्तर्लोहिताक्षप्रतिपेकाणि' मामानी मनी रेमासा साहिताक्ष-२रननी मना