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प्रमेयधोतिका टीका प्र.३ उ.. सू ६५ विजयदेवाभिषेकवर्णनम् २७१ अष्टोतरशतं जिनप्रतिमानाम्, 'ज़िणुस्सेहपमाणसेत्ताणं'-जिनोत्सेधप्रमाणमात्राणाम्, 'संनिक्खित्तं चिटंति'-सन्निक्षिप्तं सन्निधापितं तिष्ठति, तथा-'सभाए सुधम्माए'. सभायाश्च सुधर्मायाः, 'माणवए चेतिय खंभे'-माणवकनाम्नि चैत्यस्तम्भे' वइरामएसु गोलवट्टसमुग्गएमु वज्रनिर्मित गोलवर्तुलसमुद्केषु, 'वहूओ जिनसकहाओ' संनिक्खित्ताओ चिटुंति'-महनि जिनसक्थीनि सन्निक्षिप्तानि सन्ति, 'जाओणं'यानि खलु सक्थीनि, देवाणुप्पियाणं'-देवानुप्रियाणाम्, 'अण्णेसिं च बहूणं'-अन्ये पाश्च बहूनाम्, विनयरायधानी वत्थव्वाणं देवाणं देवीणय'-विजयराजधानी वास्तव्यानां देवानां देवीनां च, 'अच्चणिज्जाओ'-अर्चनीयानि, 'वंदणिज्जाओ' वन्दनीयानि 'पूयणिज्जाओ' पूजनीयानि 'सक्कारणिज्जाओ'-सत्कारणोयानि, 'संमाण'जिणुस्सेह पमाणमेत्ताणं' उत्सेध जिन जिनोंका जितना कहा गया है उतना है इस प्रकार अपने अपने शरीर की ऊंचाई वाली ऐसी १०८ जिन प्रतिमाएं वहां सिद्धायतन में विराजमान हैं 'साएय सुहम्माए माणवए चेतियखंभे वइरामएसु गोलवदृसमुग्गएस्सु बहुओ जिणसकहाओ सन्निक्खित्ताओ चिट्ठति' तथा सुधर्मा सभा में एक माणवक नामका चैत्य स्तम्भ है इसमें वन के बने हुए गोल २ समुनक है। उनमें जिनेन्द्र देवों की हड्डियां रखी हुई है। 'जाओणं देवाणुप्पियाणं अन्नेसिं च बहूणं विजयरायहाणिवत्थव्वाणं देवाणं देवीणय अच्च णिजाओ' ये हड्डियां आप देवानुप्रिय को और विजयराजधानी में रहनेवाले अन्य देवों और देवियों को अर्चनीय है 'वंदणिज्जाओ' वंदनीय है 'पूणिज्जाओ' पूजनीय है 'सकारणिज्जाओ' सत्कार करने योग्य है 'सम्माणणिज्जाओ' सन्मानकरने योग्य है, 'कल्लाणं मंगलं देवयं णमेत्ताणं' तिन सेघर ननारसवामां मावेस डाय मे प्रमाणे છે. એ રીતે પિત પિતાના શરીર પ્રમાણ ઉંચાઈવાળી એવી ૧૦૮ એક સે मा छन प्रतिभामा त्यो सिद्वायतनमा समान छे. 'सभाए सुहम्माए माणवए चेइयखंभे वइरामएसु गोलवट्टसमुग्गएसु बहुओ जिणसकहाओ सन्निक्खिताओ चिट्ठति' तथा सुघर्भासमामा ४ भाव नामनी चैत्यस्तन छ. तमा વજના બનેલ ગોળ ગોળ સમુદ્ગકે છે. તેમાં જીનેન્દ્ર દેવના હાડકા રાખવામાં यावेदा छ. 'जाओणं देवाणुप्पियाणं अन्नेसिं च बहूणं विजयरायहाणि वत्थव्वाणं देवाणं देवीणय अच्चणिज्जाओ' से 31331 मा५ देवानुप्रियने मने विन्य
पानीमा रसापायी है। मने विमाने मयनीय छे. 'वंदणिज्जाओ पहनीय छे. 'पूयणिज्जाओं पूरनीय छे. 'सकारणिज्जाओ' सा२१साय छे. 'सम्माणणिज्जाओ' सन्माननीय छे. 'कल्लाणं मंगलं देवयं चेइयं पज्जुवासणिज्जाओ.